Book Title: Bhagavana Kundakundacharya
Author(s): Bholanath Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 11
________________ निवेदन। •सम दिगम्बर जैन समाजमें श्री कुन्दकुन्दाचार्यजीका प्रभाव इतना है कि आपको भगवान कुन्दकुन्दाचार्यके नामसे संबोधित किया जाता है। श्री० कुन्दकुन्दाचार्यजी समयमार, प्रवचनसार, नियमसार, रयणसारादि जैसे महान आध्यात्म ग्रन्थोंकी रचना कर गये हैं कि जिनके समान दूसरे आध्यात्मिक ग्रन्थ नहीं हैं। आध्यात्मिक चर्चा में प्रमाणोंकी आवश्यकता पड़ती है तो यह कुन्दकुन्दाचार्यके ग्रन्थ देखे 'जाते हैं। श्री कुन्दकुन्दाचार्यका महत्व इसलिये भी बहुत है कि आपको विदह-गमनका तथा वहां श्री सीमंधरस्वामीके दर्शन व उपदेशका लाभ मिला था। ऐसे भ० कुन्दकुन्दाचार्यका स्वतन्त्र जीवन-वृत्तान्त अभीतक प्रकट नहीं हुआ था, जिसके लिये श्रीमान् बाबू भोलानाथजी जैन •मुखत्यार बुलन्दशहर ( जो साहित्यके महान विद्वान व लेखक हैं, व जिन्होंन हिन्दी-उर्दूकी २५-३० पुस्तकें लिखी हैं ) प्रयत्नशील 'थे, बहुत हर्ष है कि आपने यह कार्य पूर्ण कर दिया है। अतः यह ग्रन्थ प्रकाशमें आ रहा है । आशा है विद्वद्गण इसका यथेच्छ लाभ उठावेंगे । तथा इस जीवनचरित्रमें यदि कुछ कमी रह गई हो तो उसको पूरी करनेकी कष्ट उठावंगे । यदि अधिक खोज की जावे तो भ० कुन्दकुन्दाचार्यके विषयमें विशेष प्रकाश.पड़ सकता है।

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