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[१०] यह पुस्तक 'दिगम्बर जैन ' के ३५ वें वर्षके ग्राहकोंको हमारे पिताजीके स्मरणार्थ निकाली हुई ग्रन्थमालासे भेंट दी जा रही है, लेकिन जो दिगम्बर जैन ' के ग्राहक नहीं हैं उनके लिये इसकी कुछ प्रतियां विक्रयार्थ भी निकाली गई हैं। आशा है इसका भी शीघ्र. . प्रचार हो जायगा।
सूरत। वीर सं० २४६८, ।
चैत्र सुदी १३. ( ता. ३०-३-४२)
निवेदकमूलचन्द किसनदास कापडिया ।
-प्रकाशक।
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