Book Title: Bhagavana Kundakundacharya
Author(s): Bholanath Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 39
________________ भगवान कुन्दकुन्दाचार्य । ... [२१ समय। . इन्द्रनंदि रात थुनावतारके अनुसार भावान् महावीरके मुक्तिलाभके पश्चात् क्रमशः गौतमस्वामी १२ वर्ष, सुधर्मस्वामी १२ वर्ष और जंबुम्बामी ३८ वर्ष तक अर्थात् तीनों केवलज्ञानी ६२ वर्ष पर्यन्त धर्मतत्त्रका साक्षात्कार करते रहे । तदनंतर विष्णुकुमार, नंदिमित्र, अपराजित, गोवर्धन और मद्रवाहु (प्रथम) नामके पांच श्रुतकेचलियोंका धर्मशासन १०० वर्ष तक रहा, पुनः विशाखाचार्य, प्रोष्ठिलाचार्य, भत्रियाचार्य, जिनसेनाचार्य और नागसेनाचार्य नामके पांच मुनिराज ११ अंग और १० पूर्वके ज्ञाता १८३ वर्ष पर्यंत विद्यमान रहे । तत्पश्चात् सिद्धार्थ, धृतिसेन, विजयदेव, बुद्धिवलि, गङ्गदेव, धर्मसन, नक्षत्राचार्य, जयपाल, पांडव, ध्रुवसेन और कंसाचार्य; यह ११ अंगके धारी २२० वर्षेक भीतर हुये। इनके बाद सुधर्म ६ चर्य, यशोभद्र (जयभद्र) १८ वर्ष, यशोबाहु ( भद्रबाहु द्वितीय) २३ वर्ष और लाहाचार्य ७१ वर्ष तक केवल एक अंग (आचारांग) के ज्ञाता ११८ वर्ष पर्यंत धर्ममार्गका प्रकाश करते रहे। इस प्रकार ६२+१००+१८३५२२०+११८६८३ वर्ष वीर निवाणके बाद अथवा ६८३-४७०२१३ विक्रम संवत् तक प्रत्यक्ष ज्ञानियोंका शासन वर्तमान रहा।। त्रिलोकप्रज़प्ति, आदिपुराण, हरिवंशपुराण जैसे प्रामाणिक ग्रंथों और नंदिसंघकी पट्टावलियोंसे इसका पूर्ण समर्थन होता है कि वीर भगवानके ६८३ वर्ष बाद तक स्वयं ज्ञानियोंका अस्तित्व रहा।

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