Book Title: Barsanupekkha
Author(s): Kundkundacharya, Vishalyasagar
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ बारसालु पेक्रवा ४ ग्रन्थ :- आचार्य कुन्द कुन्द स्वामी के ग्रन्थ पाहुण कहे जाते हैं। पाहुण अर्थात् प्राभृत जिसका अर्थ भेंट हैं आचार्य जिनसेन महाराज ने की तात्पर्यवृत्ति में कहा है जैसे देवदत्त नाम का कोई व्यक्ति राज्य का दर्शन के लिए कोई सार भूत वस्तु राजा को देता है तो उसे प्राभृत भेंट कहते है। उसी प्रकार परमात्मा के आराधक पुरूष के लिए निर्दोष परमात्मा रूपी राजा के दर्शन कराने के लिए यह शास्त्र भी प्राभृत भेंट हैं। वर्तमान आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी कृत पंचास्तिकाय, समयपाहुण, पवयणसार अटठपाहुण (दसणपाहुण, चरित्र पाहुण, सुतपाहुण, बोध पाहुण, भाव पाहुण, मोक्ख पाहुण, शील पाहुण तथा लिंग पाहुण) बारसाणु पेक्खा भवित संग्रहों जैसे महान ग्रन्थों की रचना की इनके अतिरिक्त रयणसार को भी कुछ विद्वान उनकी कृति मानते हैं। तमिल वेद के रूप में सुविख्यात "तिरुक्कुर ( कुरलकाव्य) नामक रीतिग्रन्थ भी इनकी कृति माना जाता है। ऐसी मानता है कि आचार्य कुन्द कुन्द स्वामी ने चौरासी पाहुण ग्रन्थों की रचना की थी। उपलब्ध पाहुणों के नामों के अतिरिक्त अब इन चौरासी में से कुछ पाहुणों के नामों के उल्लेख भी मिलते है। प्राकृत एवं जैन साहित्य के सूत्रासिद्ध मनीषी डा. ए. एन. उपाध्ये ने निम्न लिखित तैंतालीस पाहुणों की सूचना तैयार कर प्रस्तुत की है। (१) आचार पाहुण (२) आलाप पाहुण (३) अंगसार पाहुण (४) आराहणा सारपाहुण (५) बंध सार पाहुण (६) बुद्धि या बोध पाहुण (७) चरण पाहुण (८) चूलिया पाहुण (१९) चूर्णि पाहुण (१०) दिव्य पाहुण (११) द्रव्य सार पाहुण (१२) दृष्टि पाहुण (१३) इव्यत्र पाहुण (१४) जीव पाहुण (१५) जाणिसार पाहुण (१६) कर्म विपाक पाहुण (१७) कर्म पाहुण (१८) क्रिया सार पाहुण (१९) क्षयण सार या क्षयण पाहुण ( २० ) लब्धि सार पाहुण (२१) लोय पाहुण (२२) नय पाहुण (२३) नित्य पाहुण (२४) नोकम्प पाहुण (२५) पंच वर्ग पाहुण (२६) पयढ पाहुण (२७) पय पाहुण ( २८ ) प्रकृति पाहुण (२१) प्रमाण पाहुण (३०) सलमी पाहूण (३१) संणडण पाहुण (३२) समवाय पाहुण (३३) षटदर्शन पाहुण (३४) सिद्धान्त पाहुण (३५) सिक्खा पाहूण (शिक्षा) पाहुण (३६) स्थान पाहुण (३७) तत्त्वसार पाहुण (३८) तोप (लोय) पाहुण (३९) ओघट पाहुण (४०) उत्पाद पाहुण ( ४१ ) विद्या पाहुण (४२) वस्तु पाहुण (४३) विध्य या विध्य पाहुण । संयम प्रकाश नामक ग्रन्थ में उपयुक्त पाहुडों के अतिरिक्त नाम कम्म पाहुण, योग सार पाहुण, नित्ताय पाहुण, उघोत पाहुण, सिखा पाहुण तथ्य ऐयन्त पाहुण नाम प्राप्त होते हैं।

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 108