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औपपातिष सूत्रे
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फला वाहिरपत्तोच्छणा पत्तेहि य पुप्फेहिय ओच्छन्नवलिच्छत्ता साउफला निरोयया अकंटया णाणाविह-गुच्छ गुम्म-मंडवग-रम्मसोहिया विचित्तसुहके भूया बावीपुक्खरिणीदीहियासु य सुनिलोलुपा तेषा मधुर यथा तथा गुमगुमेत्यव्यक्तनादानुकरणे तैर्मधुरभृङ्गसङ्गीतैर्गुञ्जन् देशभागो येषा पाढपाना ते तथा । ' अर्भितरपुप्फफला ' अभ्यन्तरपुष्कफला - अभ्यन्तरे पुष्पफलमभृता । बाहिरपत्तोच्छण्णा' बाह्यपत्रावच्छिना हि मजातपनसमूहप्रच्छन्ना । ' पत्तेहि य' पत्रैश्र, 'पुप्फेहि य 'पुष्पैच, 'ओच्छन्नालिच्छते' अवच्छनप्रतिच्छन्न – सर्वथाऽऽच्छादित । 'साउफला ' स्वादुफला ' निरोयया ' नीरोगका गीतनिद्यदातपादिजनितोपघातरहिता , अकटया अकण्टका कण्टकरहिता,
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नानाविध -- गुच्छ - गुल्म-मण्डपक
पाणाविह गुच्छ - गुल्म- मडवग-रम्म- सोहिया ' रम्य–शोभिता –नानाविधैर्बहुप्रकारैः
= पुष्पस्तनक-लताप्रतान
अव्यक्तनाद से गूँजते [ बाहिर पत्तोच्छण्णा ]
थे । (पत्तेहि य पुष्फे हि य ओच्छन्नमालूम होता था कि ये ( साउफला ) ये
पत्र और
लालायित हो रहे थे, उनके ' गुमगुम' इस प्रकार के रहते थे । [ अभितरपुप्फफला ] भीतर मे पुष्प एव फल से तथा बाहिर में पत्तों से ये वृक्ष व्याप्त हो रहे वलिच्छत्ते ) इसलिये देखनेवालों को ऐसा पुष्पों से ही आच्छादित हो रहे हैं । माठे फलवाले थे, ( निरोयया ) नारोग थे अर्थात् इनको न तो कभी विद्युत्पात का भय था और न कभी आतप-जनित पीडा का ही त्रास था । [ अकटया ] कटक-रहित थे । [ णाणाविह- गुच्छ - गुम्म - मडवग - रम्म - सोहिया ] ये अनेक प्रकार के गुच्छगुल्मों- पुष्प स्तव से मंडित लताप्रतानो के निकुजों से युक्त थे, इससे इनकी शोभा निराली પીવાને માટે અખી રહેતા હતા તેના ગણગણાટના અવ્યક્ત નાદથી ચુજીત हृता (अभितरपुष्पफला) हरना लागभा पुष्य तेभन साथी ( वाहिरपत्तोच्छण्णा) તથા મહાના ભાગમા પાનથી આ વૃક્ષા વ્યાસ બની રહેલા હતા (पत्तेहि य पुष्फे हि य ओच्छन्नवलिते) साथी नेनारागने मेभ भातु तु या वृक्षो धान भने पुण्योथी हमेसा रहे छे (साउफला) से भी जवाजा उता, (निरोयया) निरोग लेता अर्थात् तेमने न तो उट्टी विरजी पडवानो लय हतो ने न तो तउठानी थीडाना त्रास हतेो (अकटया) डाटा रहित उता (नाणाविह गुन्- गुम्म-मडग रम्म सोहिया ) मे मने अहारना शुभ्छ શુક્ષ્મા-પુષ્પ સ્તવકેાથી શાભતા લત્તાપ્રતાનાના નિફન્નેથી યુક્ત હતા તેથી
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गुच्छगुल्ममण्डपकै