Book Title: Auppatiksutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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यूपपणी टीका, स० ८४ मतविषये भगवद्गीतमय सयाद ६८३ कायजोगं जुंजइ ?, ओरालियमिस्ससरीरकायजोगं जुंजइ ?, वेव्वियसरीरकायजोगं जंजइ', वेउव्वियमिस्ससरीरकायजोगं ?, जुंजइ ?, आहारगसरीरकायजोगं जुंजइ ?, आहारगमिस्ससरीरकायजोगं जुजइ ?, कम्मसरीरकायजोगं जुजइ ? । गोयमा ।
'ओरालियमिस्ससरीरकायजोग जंजइ ?' औदारिकमिश्रशरीरकाययोग युङ्क्ते .' वेउच्चियसरीरकायजोग जुजइ' वैकियशरीरकाययोग युङ्क्ते ', ' वेउन्नियमिस्ससरीरकायजोग, जुजइ ?' वैकियमिश्रगरीरकाययोग युटुङ्क्ते ' ' आहारगसरीरकायजोग जंजर ?' आहार शरीरकाययोग युक्ते ''आहारगमिस्ससरीरकायजोग जज' आहारक मिथशरीरकाययोग युङ्क्ते' 'कम्मसरीरकायजोग जजइ' कार्मगशरीरकाययोग युङ्क्ते १, भगवानाह - 'गोयमा !' गौतम ' 'ओरालियसरीरकायजोग जजइ' भौदारिकfueritainaयोगको काममे लाते है ? अथवा ( ओरा लियमिस्ससरीर कायजोग जुजर) औदारिकमिश्रशरीरकाययोग को काम मे लाते है' (वेउव्वयसरीरकायजोग जुजइ ? उन्नियमिस्ससरीरकायजोग जुजइ ? जाहारगसरीरकायजोग जुजइ ? आहारगमिस्ससरीरकायजोग जुजड ? कम्ममरीरकायजोग जुजइ ?) या वेकिथिकशरीरकाययोगरूपी काययोग को काम में लाते है ' या वैकियिकमिश्रशरीर को काम म लाते है ' अथवा आहारकशरीररूपी काययोग को काम मे लाते हे', या आहारकमिश्रशरीरकाययोग को काम में काते हैं', या कार्मणशरीरकाययोग को काम मे लाते हे । भगवान कहते है- (गोयमा !) हे गौतम । (ओरालियस रकायजोग जुजः ओरालियमिस्ससरीरकायजोग जुजइ)
शु मोहारि शरीरश्यी अययोगने अभभा सीमे छे ?, अथवा ( ओरालियमिस्ससरीरकायलोग जुजइ १ ) मोहाशिभिश्रशरीराययोजने जभभा दी है ? ( बेव्वियसरीरकायजोग जुजइ ? वैउव्वियमिस्समरीरकायजोग जुजइ ? आहा
सरीरकायजोग जुजइ ? आहारगमिस्समरीरकायजोग जुजइ ? कम्मसरीरकायजोग जुजइ ? ) अथवा वेडियशरीर३यी जययोगने नभभा सावे छे ? अथवा વૈક્રિયમિશ્રશરીરકાયયેાગને કામમા લાવે છે? અથવા આહાકશરીરૂપી કાયચેગને કામમાં લાવે છે ? અથવા આહારમિશ્રશ૨ી૨ાયયાગને કામમા લાવે છે ? स्मथवा अर्भीयशरीरमाययोजने भभा बाचे छे ? लगवान हे छे - ( गोयमा ! ) हे गौतम । (ओरालियसरीरकायजोगं जुजइ ओरालियमिस्सकायजोग जुजइ ) ठेवसी

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