Book Title: Auppatiksutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 797
________________ ૬૮ averfree समणजोगं जुंजइ ? गोयमा । सच्चमणजोगं जुंजइ, णो मोसमणजोगं जुंजइ, जो सच्चामोसमणजोगं जुंजइ, असच्चामोसमणजोगं पि जुंजइ ॥ सू० ८७ ॥ मूलम् -- वयजोगं जुंजमाणे किं सच्चवइजोगं जुंजइ १ नाह - 'गोयमा । सचमणजोग जुजइ' गौतम सत्यमनोयोग युक्ते, 'णो मोसमणजोग जुंज' नो मृषामनोयोग युके 'गो सचामोसमणजोग जुजई' नो संयमृषामनोयोग युङ्क्ते, 'असचामोसमणजोगपि जुजइ' असत्याऽमृपामनोयोगमपि युङ्क्ते ॥ सू० ८७ ॥ टीका--गौतम पृच्छति-'त्रयजोग' इत्यादि । 'वयजोग जुंजमाणे किं सचचइजोग जुजइ' वाग्योग युनान किं सत्यवाग्योग युङ्क्ते ' 'मोसवइजोग जुजइ' मृषावा मणजोग जुजइ) वे केवली सत्यमनोयोग को प्रयुक्त करते हैं, (णो मोसमणजोग जुजइ णो सच्चामोसमणजोग जुजइ, असच्चामोसमणजोगं जुजर) अस यमनोयोग एव मिश्रमनोयोग को प्रयुक्त नहीं करते है, किन्तु असत्यामृपामनोयोग को प्रयुक्त करते हैं, अर्थात् व्यवहार मनोयोग को प्रयुक्त करते है । सत्यमनोयोग एव व्यवहारमनोयोग को वे केवली प्रयुक्त करते है, अन्य दो को नहीं || सू० ८७ ॥ 'बजोग जजमाणे' इत्यादि । प्रश्न -- हे भगवन् ! वे केवली जो ( वयजोग जुजमाणे किं) वचनयोग को प्रयुक्त करते है सेा क्या (सच्चत्रइजोग जुजइ, मोसवइजोग जुजइ, सचामोसवइजोग जुजर, असन्चामोसवइनोग जुजइ) सत्यवचन योग को प्रयुक्त करते है, या असत्यवचन गौतम ! ( सच्चमणजोग जुजइ ) ते ठेवणी सत्यमनायोगाने प्रयुक्त रे ( णो मोसमणजोग जुजद्द, जो सच्चामोसमणजोग जुजइ, असच्चामोसमणजोग जुजइ) असत्यभनोयोग तेभन मिश्रमनोयोगने प्रयुक्त उश्ता नथी, परंतु અસત્યામૃષામનાયેાગને પ્રયુકત કરે છે અર્થાત્ વ્યવહારમનેયાગને પ્રયુકત કરે છે. સત્યમને યાગ તેમજ વ્યવહારમનાચેાગને તે કૈવલી પ્રયુક્ત કરે છે મૌજા એને નહિ (સૂ ૮૭) ' बबजोग जुनमाणे ' छत्याहि अन-डे लगवन् ! ते ठेवली हे ? (वयजोग जुजमाणे) पथनयोगने प्रयुक्त ४रे छे, ते शु ( सच्चवइजोग जुजद्द, मोसवइजोग जुंजइ, सच्चामो

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