Book Title: Anuvrat Drushti
Author(s): Nagraj Muni
Publisher: Anuvrati Samiti

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Page 48
________________ - U अणुव्रत-दृष्टि में आनेवाला है वह नियमनिषिद्ध जीमनवार माना गया है। उक्त प्रकारके भोजन समारोहमें अणुव्रती भोजनार्थ सम्मिलित नहीं हो सकता । इस प्रथाके विषयमें यह एक असहयोग प्रदर्शन है। बहुत कुछ सम्भव है कि इस असहयोगसे जहाँ अणुव्रतीकी अनिवार्य अपेक्षा है, ऐसे बड़े जीमनवार रुक भी जायें। यदि न भी रुके तोभी उसका सम्मिलित न होना अवश्य जीमनवार विषयक चर्चा उपस्थित करेगा और इससे साधारण इस प्रथाकी हेयता उपादेयताको यथावत् समझेंगे। यद्यपि भोजनके अतिरिक्त अन्य उद्देश्योंसे सम्मिलित होना भी उस प्रथाको सीधा सहयोग करना है तथापि सामाजिक सहयोगकी एक साथ पूर्णतः उपेक्षा न करते हुये असहयोगको मर्यादा भोजन तक ही रखी स्पष्टीकरण अणुव्रती नियमानुसार बड़े जीमनवार में सम्मिलित नहीं होता इसलिये ही यदि जीमनवार की सामग्री उसके घर पर भेजी गई हो तो अणुव्रती उसे न ग्रहण कर सकता है न खा सकता है। स्वाभाविकतया 'हांती' के रूप में यदि उसके यहां वह सामग्री भेजी गई है तो उसके ग्रहण और भोजन में नियम बाधक नहीं है । विशेष पारिवारिक सम्बन्ध के कारण दूसरे गांव जानेवाली बारात के साथ यदि अणुव्रती को जाना पड़ता है, यदि बारात व वहाँका जमीनवार अमर्यादित है तो वह वहाँ भोजन करने में तो सन्मिलित हो ही नहीं सकता, साथ-साथ अपने आवास (डेरे ) पर उसके उद्देश्यसे भेजी गई सामग्री का उपयोग भी नहीं कर सकता। जीमनवारकी सामग्रीके अतिरिक्त अपनी या कन्या पक्ष की कोई व्यवस्था हो तो वहाँ नियम बाधक नहीं है। ८-विश्वासघात द्वारा किसी के हृदय को चोट न पहुंचाना । सभी धर्म-शास्त्रों व नीति-शास्त्रोंमें विश्वासघातको महापाप माना गया है और वह उचित भी है। क्योंकि इससे व्यक्तिके हृदय पर एक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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