Book Title: Anuvrat Drushti
Author(s): Nagraj Muni
Publisher: Anuvrati Samiti

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Page 117
________________ साधनाके चार नियम.. १-प्रति वर्ष एक अहिंसा दिवस मनाना :अहिंसा अणुव्रतवादकी रीढ़ है । प्रत्येक समस्याका हल अहिंसात्मक ही सोचा जाये यह अणुव्रतवादका ध्येय है। आवश्यक है अणुव्रतीकी अहिंसामें दृढ़ निष्ठा हो और वह निष्ठा दूसरोंके लिये भी अहिंसा की ओर आकर्षित होनेका कारण बने । अहिंसा दिवस मनानेका यह नियम इत्यादि दृष्टिकोणोंसे उपयोगी है। अहिंसा दिवस का कार्यक्रम (१) उपवास अवश्य हो। (२) किसी भी मनुष्य, पशु, पक्षी आदि पर साधारण या विशेष प्रहार न करें। (३) पशुओंकी सवारी न करें। (४) असत्य मात्रका त्याग करें। (५) पूर्ण ब्रह्मचर्यका पालन करें। (६) किसीको कटु वचन न कहें । (७) अपने बचावके लिये भी हिंसात्मक प्रत्याक्रमण न करें। ... (८) घण्टे भरके लिये आध्यात्मिक स्वाध्याय करें। (8) आधा घण्टा के लिये आत्म-चिन्तन करें जिसमें वर्ष भरमें की हुई बुरी प्रवृत्तियों का संस्मरण कर आत्म-निन्दा करें। (१०) अपने माता-पिता, भाई तथा अन्य कुटुम्बी व अपने नौकर, कर्मचारी आदि जितने व्यक्ति निरन्तर सम्पर्कमें आनेवाले हैं, उनमेंसे जो मिलें उनसे साक्षात, न मिलें उनसे अपनी भावनासे, वर्ष भरमें हुए असद् व्यवहारके लिये क्षमा-याचना करें और उन्हें अपनी ओरसे क्षमा-प्रदान करें। (११) अन्य लोगोंमें भी अणुव्रत-भावना का यथासम्भव प्रचार करें। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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