Book Title: Anuvrat Drushti
Author(s): Nagraj Muni
Publisher: Anuvrati Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 121
________________ - साधनाके चार नियम १११ (३७) दिन भरमें कौन-से अनुचित, अप्रिय एवं अवगुण पैदा करने वाले कार्य किये और कौनसी सुशिक्षा ग्रहण की ? ४-प्रतिमास कमसे कम १५ दिन ब्रह्मचर्यका पालन करे । भारतीय संस्कृतिमें ब्रह्मचर्यका जो महत्व है, वह वाणीका विषय नहीं हो सकता किन्तु यह वैज्ञानिक तथ्यसे भी शून्य नहीं है कि विकार' एक शक्ति है और वह किसी भी महत्वपूर्ण कार्यके लिये प्रयुक्तकी जा सकती है। यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है । संसारके जितने महापुरुष हुए हैं उनमें अधिकांश ब्रह्मचारी हुए हैं अर्थात् उनकी वैकारिक शक्ति उनके जीवनके उच्चतम ध्येयमें लगी है। अतः पूर्णतः ब्रह्मचारी हो जाना अणुवतियोंका ध्येय होगा। वह १५ दिनकी मर्यादाको पूर्णतः निभाते हुए क्रमशः पूर्ण आदर्शकी ओर अग्रसर होते रहें। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142