Book Title: Anuvrat Drushti
Author(s): Nagraj Muni
Publisher: Anuvrati Samiti

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Page 127
________________ आलोचनाके पथपर अणुव्रती-संघ ११७ ५०० व्यापारियोंने संघके नियमोंमें बताये हुये नियम लिये। मैं उम्मीद करता हूं कि व्रती जन अक्षर और भाव दोनोंको सही अर्थमें पूरी-पूरी तरह पालेंगे और पूरे समाजका नैतिक स्तर उठानेके काममें साधक होंगे।" हिन्दी दैनिक 'हिन्दुस्तान' दिल्ली (सम्पादकीय) "६४० अहिंसक 'सैनिक' देशमें पैदल गांव-गांवमें घूमकर अहिंसा धर्मका प्रचार करते हुए जनताके नैतिक धरातलको ऊँचा उठानेके प्रयत्न में संलग्न हैं। ये 'सैनिक' जैन 'तेरापंथी' संस्थाके साधु और साध्वियां हैं, जो कि 'समाजसे थोड़ा लेने और अधिक देने का व्रत लेकर जनसाधारणमें मानव-धर्मका प्रचार करते घूम रहे हैं। ___ "तेरापंथी सम्प्रदायके नेता आचार्य श्री तुलसीने आज सायंकाल पत्र-प्रतिनिधियोंके सामने उक्त सूचना देते हुए यह बताया कि जनताका नैतिक उत्थान करनेके उद्देश्यसे गत वर्षसे 'अणुव्रती-संघ'के नामसे एक संस्था स्थापित है । इस संस्थाके मुख्य उद्देश्य ये हैं : (क) जाति, वर्ण, देश और धर्मका भेदभाव न रखते हुए मानव मात्रको संगम-पथको ओर आकृष्ट करना । (ख) मनुष्यको अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह आदि तत्वोंकी उपासनाका व्रती बनाना। (ग) आध्यात्मिकताके प्रचार द्वारा गृहस्थ जीवनके नैतिक स्तरको ऊँचा उठाना। (घ) अहिंसाके प्रचार द्वारा विश्व-मैत्री तथा विश्व शान्तिका प्रसार करना।" "हिन्दुस्तान टाईम्स" दिल्ली : "चमत्कारका युग अभी समाप्त नहीं हुआ है। दिल्लीमें भी हमें चारों ओर फैले हुए अन्धकारमें प्रभातकी एक किरण दीख पड़ी है । जब कि सैकड़ों पापी एक ही सबेरेमें धर्मात्मा बन जाते हैं, तब हमें Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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