Book Title: Anusandhan 2009 07 SrNo 48
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ जून २००९ खरतर-पूर्णभदणि निम्मिश्र आणंदादिदस उवासगकहाओ सं. अमृत पटेल प्रतिपरिचयः प्रस्तुत 'आणंदादि दस उवासगकहाओ' नी एक मात्र ताडपत्रीय प्रतनी फोटोकोपी मने परमपूज्य प्रवर्तक मुनिश्रीजम्बूविजयजी महाराजे श्रुतप्रसादीरूपे मोकलेल, ते उपरथी सम्पादनकार्य सम्पन्न थयुं छे. जेसलमेरनां ज्ञानभण्डारनी, वि.सं. १३०९ मां लखायेल' आ ताडपत्र प्रतना दरेक पत्रमा ३-४ पंक्तिओ छे. तेमां केटलीक पंक्ति अखण्डित छे, तेमां लगभग ६१ अक्षरो छे; तो केटलीक पंक्तिओ खण्डित छे, तेमां ६-८ अक्षरो छे. अक्षरो खूब झीणा छतां सुवाच्य छे. छतां क्यांक क्यांक पाठवांचनमा क्षति - मारा अल्प अभ्यासवशरहेवा पामेल हशे, तो विद्वान् पुरुषो मने क्षम्य गणे. कृतिः - ‘वादिवृन्दप्रभु' खरतरगच्छीय जिनपतिसूरिना शिष्य पूर्णभद्र गणिले दशम अंगसूत्र ‘उवासगदसा'ना साररूपे, आर्यावृत्तमां निबद्ध करेल छे. १ली गाथामां मंगलाचरण रूपे वीरजिनने नमस्कार करेल छे. ते वीर जिनना चरणने पांजरा, रूपक अपायुं छे, के जेमां त्रण जगत रूप सालही [देशी नाम ३.४८] सारिकानी जेम निर्भय छे. रजी गाथामां 'आनन्दादि दस उवासगोनी कहाओ' कहेवानी प्रतिज्ञारूपे अभिधेयनो उल्लेख छे. ३जी गाथाथी १६मी गाथा - वर्ण्य विषयनी यादी = संग्रहणी गाथाओ छे. तेमां दश श्रावकोनां (१) नामो, (२) तेमनी नगरीओनां नामो (३) पत्नीओनां नामो, (४) धर्मप्राप्ति ज्यां थई ते उद्यानोनां नामो, (५) पौषधमां तेमने थयेला उपसर्गो, (६) कालधर्म, (७) अने स्वर्गमां गया ते विमानोनां नामो. त्यारबाद १. आनन्द श्रावक (गाथा १७-१२६) २. कामदेव श्रावक (गाथा १२७-१३९) ३. चुलनीपिता (गाथा १४०-१५०) ४. सुरादेव (गाथा १५१-१५५) ५. (चुल्ल)लघुशतक (गाथा १५६-१६१) ६. कुण्डकोलिक (गाथा १६३-१८४) ७. सद्दालपुत्त (गाथा १८५-२७२) ८. महाशतक (गाथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90