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अनुसन्धान ४८
माहिती :
नवां प्रकाशनो
१. बृहत्कल्पसूत्र - पीठिका भाग १, नियुक्ति-भाष्य-चूर्णिसमेत. प्र. प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी (PTS.) श्रेणि नं. 42/1, सं. विजयशीलचन्द्रसूरि, रूपेन्द्रकुमार पगारिया; ई. २००८, अमदावाद.
खंभात, पूना अने पाटणनी कुल चार ताडपत्र प्रतिओना आधारे तैयार करवामां आवेली चूर्णि-वाचना आ ग्रन्थरूपे प्रथमवार ज प्रकाशित थई छे. बीजी बधी बाबतोने गौण करीने शुद्ध वाचना तैयार करवानो प्रयास आमां थयो छे. अन्तमां गाथाक्रमरूप एक परिशिष्ट आपेल छे. बीजां विविध परिशिष्टो आपवानो उपक्रम छे ज, पण ते आगळना भागोमां यथावकाश आपवामां आवशे. आगळना विभागोमां चूर्णि साथे विशेष चूर्णि पण आपवानो उपक्रम छे.
२. उत्तरज्झयणाणि (भाग १, २) (उपाध्यायश्रीकमलसंयम विरचित - सर्वार्थसिद्धिटीकासहित) प्रकाशक : भद्रंकर प्रकाशन, अमदावाद, वि.सं. २०६५
आ टीका- प्रथम संशोधन मुनिराजश्री जयन्तविजयजीए कर्यु हतुं. अने प्रकाशन वि. १९८४ मां 'लक्ष्मीचन्द्र जैन लायब्रेरी' द्वारा प्रताकारे चार भागमां करवामां आव्युं हतुं. तेनुं आ पुनः सम्पादन पंन्यास श्री वज्रसेन विजयजीए कर्यु छे. साध्वीजी श्रीचन्दनबालाश्रीजीए तेमने आ कार्यमा सहयोग आप्यो छे. प्रकाशन सुन्दर थयुं छे. उपयोगी परिशिष्टोथी ग्रन्थ अलंकृत बन्यो छे.
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