Book Title: Anusandhan 2009 07 SrNo 48
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 13
________________ अनुसन्धान ४८ अनुकरण रूपे] प्राकृतमां बीजी एक रचना साधुविजयशिष्य शुभवर्धन गणीओ 'दशश्रावकचरित्र'नामे करी छे. तेनुं सम्पादन आ. मुनिचन्द्रसूरिजीओ कर्यु छे अने विजयभद्रसूरिचेरिटी ट्रस्टे तेनुं प्रकाशन कर्यु छे. ग्रन्थ लेखननी प्रशस्ति संस्कृत भाषामां छे. तेमा मालिनी, वसन्ततिलका स्रग्धरा, शार्दूलविक्रीडित, पृथ्वी जेवा प्रसिद्ध छन्दोनो प्रयोग थयो छे. तेमां ८ मुं पद्य 'भामा' नामना अर्धसम (त-भ-स-य + ज-भ-स-य) छन्दमां निबद्ध छे- आ छन्दनुं नाम अने लक्षण अक मात्र कानडी दिगम्बर जयकीर्ति कृत 'छन्दोनुशासन (ले.सं. १०५०)मां छे. [पीठिका] जस्स पयनहपहाभरपंजरमज्झट्ठिया तिलोई वि । पडिहासइ मि(नि)च्चलसालहि व्व, तं नमिय जिणवीरं ॥१॥ आणंदाइदसण्हं उवासगाणं कहाओ वुच्छामि । दठूण सत्तमंऽगं समासओ आयसरणत्थं ।।२।। तत्थ संगहणिगाहाओआणंदे कामदेवे य, गाहावइचुलणीपिया । सुरदेवे चुल्लसयगे, गाहावइकुंडकोलिय(ये) ॥३॥ सड्डालपुत्ते कुंभारे, महासयए अट्ठमए । नंदिणीपिया नवमे, दसमे सालिहीपिया ॥४॥ [इति श्रावकाः] सिवनंद भद्दा सामा, घण बहुला पुस्स अग्गिमित्ता[य] । रेवइ(ई) अस्सिणी तह, फरगुणी भज्जाण नामाइं ॥५॥ [इति श्रावकभार्याः] वणियग्गाम चंपा दुवे य, वाणारसीए नयरीए । आलभिया य पुरवरी, कंपिल्लपुरं च बोधव्वं ॥६।। पोलासं रायगिह, सावत्थीए पुरीए दुन्नि भवे । एए उवासगाणं नयरा खलु होति बोधव्वा ॥७॥ [श्रावकाणां नगर्यः] दूइपलासं तह पुनभदं दो कोट्ठए सरवणं । दोनि य सहसंबवण गुणसिलयं कोट्ठए दुबि ॥१८॥ - [इति श्रावकाणां व्रतावाप्त्यारामनामानि] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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