Book Title: Anusandhan 2009 07 SrNo 48
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 37
________________ अनुसन्धान ४८ ता गच्छ तुमं जह सो, एयट्ठाणस्स निंदणाईयं । काउं पायच्छित्तं पडिवज्जइ तह लहुं कुणसु ॥३२३।। तत्तो गोयमसामी तहत्ति पडिवज्जिऊण जिणवयणं । गच्छइ महासयगस्स, मंदिरं ईरियसंपन्नो ॥३१४।। इंतं गोयमसामि दठूणं हट्ठ-तुट्ठहयहियओ । वंदेइ महासयगो विणएणं, गोयमो वि तओ ॥३२५।। भणिऊण जिणाभिहियं सम्मं चोएइ हेउ-जुत्तीहि । सो वि हु तव्वयणेणं पडिवज्जइ जाव पच्छित्तं ॥३२६।। सावयपरियायं सो परिवालेऊण वीस वासाई । काऊण मासमेगं पज्जते अणसणं विहिणा ॥३२७।। सोहम्मे अरुणवडिंसयम्मि चउपल्लआउयं देवो । अणुपालिय सिज्झिस्सइ महाविदेहम्मि खित्तम्मि ॥३२८।। इति महाशतकश्रावककथानकम् ॥छ।। ८|| ९ - [नंदिनीपिता कथानकम् ] सावत्थी जियसत्तू कुटुं नंदिणिपिया य कोडंबी । अस्सिणि भज्जा, वज्जा चत्तारि हिरण्णकोडीओ ॥३२९।। निहि-वुड्ढि-वित्थरेसुं, चत्तारि वया य, जिणसमोसरणे । पडिवज्जिय गिहिधम्म परिवालइ वरिसचउदसगं ॥३३०॥ पनरसमे पुण वरिसे जिट्ठसुए ठविय गिहभा(भ)रं सयलं । एक्कारस पडिमाओ पालइ सम्मं निरुवसग्गं ॥३३१।। नंदिणिपिया य सावय-पज्जायं पालिऊण वासाइं । वीसं, काउं मासं, पज्जंते अणसणं विहिणा ॥३३२।। सोहम्मे चउपलिओ अरुणगवविमाणअहिवई देवो । होउं महाविदेहे सिज्झिस्सइ खीणकम्ममलो ॥३३३।। इति नंदिनीपिता कथानकम् ॥छ।। ९ । ९ - [लंतियपिया कहाणयं] सावत्थी जियसत्तू कोठं, लंतियपिया य कोडंबी । फग्गुणि भज्जा, वज्जा चत्तारि हिरन्नकोडीओ ॥३३४|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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