Book Title: Anusandhan 2009 07 SrNo 48
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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जून २००९
सील चूनडी हेजी सील सुरंगडी, अर जै ओढने नरनारिजी; इणभव परभव सुख लहै, धन तेहनो अवतारोजी...... सी० १ हेजी ताणो न(व)ण्यौ तीन गुपतीको, अर वाण्यो ववेकोजी; नलीय भरी नव वाड की, क्षीमा खूटी ताणोजी..... सी० २ हेजी पास दीयो पांच सुमतीको, अर रंग लागो वैरागोजी; पंचवरण पंचमहाव्रतको, कारीगर करणी अथाहोजी...... सी० ३ हेजी चारित्र चांदा विचि लिख्या, अर वेलि विलय छि लहाणोजी; मूल उत्तरगुण घूघरु, सीह हंस मोर जिण आणोजी...... सी० ४ हेजी जेह वणी सदगुरुतणी, अर कहि सखी के ना मोलोजी; लाखे ही लाभै नही, अर नही तसु तोलोजी..... सी० ५ हेजी कोन मोलावै चुनडी, अर को करी बलभोगोजी; नेमजी मुलावे चुनडी, राणी राजुलनै बलभोगोजी..... सी०६ हेजी पहिली ओढी श्री नेमजीने, अर दुजा गजसुकमालोजी; तीजी सेठ सुदरसनै, चौथा जंबुकुमारोजी.....
सी० ७ हेजी सीता कुंता द्रौपदी, अर चोथी चंदनबालाजी; गौरी नै पद्मावती, रूपिला राजुलनारीजी.....
सी० ८ हेजी ब्राह्मी सुंदरी अति भली, अर मृगावति अभिरामोजी; सुलसा सुभद्रा ने सिवा, दवदंती अभिरामो (जी).... सी० ९ हैजी चूला कलावती नैर पभावती, अर मंदोदरी महाधीरोजी; ए सीलवंत नर-नारिना, गुण कह्या अनंत महावीरोजी... सी० १० हेजी अजब विराजै चुदडी, अर सोहै सीलज तारोजी; हीरमुनीसर हरखसुं, धन तेहनो अवतारोजी...
सी० ११ . इति सील चुंदडी संपूर्णम् ।
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