Book Title: Anusandhan 2009 07 SrNo 48
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 60
________________ जून २००९ विविधकविकृत व्रण गेय रचनाओ सं. साध्वी समयप्रज्ञाश्री मने आपवामां आवेला छूटक प्राचीन पानांओ परथी ऊतारेली त्रण गेय रचनाओ अत्रे प्रगट थाय छे. अर्थ समजाता न होय त्यारे नकल करवामां मथामण घणी थाय छे, पण मजा पण घणी पडे छे. प्रायः अढारमा सैकामां लखायेला एक पानांमां ज आ त्रण रचनाओ छे. तेमां पहेली रचना "सुमति-कुमतिवादगीत' 'चेतन' (आत्मा)नो अने तेनी बे पत्नीओ-सुमति अने कुमतिना वादने वर्णवे छे. बन्ने प्रियतमाओ पोताना स्वामीने पोताना तरफ आववा समजावे छे. भाषा बहु कठिन लागी छे एथी पंक्ति अने पदोनो छेद करवामां भूल थई होय तो ते माटे क्षमा याचुं . विद्वान जनो आ रचना उपर विवरण करशे त्यारे घj जाणवा मलशे. तेना कर्तार्नु नाम छेल्ली पंक्तिमां "लाल विनोदी" एवा शब्द ऊपरथी "लालविजयजी'' नामे मुनिराज होवानुं लाग्युं छे. परंतु 'ज'कार साथे कहेवा जेटली मारी सज्जता नथी. जाणकारो ते नक्की करे. बीजी रचना 'सील सज्झाय' नामे छे, ते विजयदेवसूरि महाराजे बनावेल छे. तेमां शीयलनी नव वाडोनुं स्वरूप वर्णवेल छे. पूज्योना कहेवाथी जाणी शकायुं छे के सत्तर-अढारमा सैकामां थयेल देवसूरसंघना पूज्य विजयदेवसूरि महाराजे आ सज्झाय बनावी होय तेवू लागे छे. त्रीजी रचना 'सील चूनडी' नामनी छे. तेमां 'शील' व्रतने चुनडी एटले के चुंदडी तरीके वर्णवेल छे. तेना ताणा-वाणा वगेरे, तेनो रंग, तेमां गुंथेला चांदरणां-चन्द्रक, तेमां चीतरेलां सिंह, हंस, मोर वगेरेनां सुशोभनो इत्यादिनुं मस्त वर्णन पहेली पांच कडीओमां करेल छे. सद्गुरुए वणेल आ चुंदडी अणमोल छे तेवू कहीने तेनां मूल कोण आंके तथा तेनो उपभोग (बलभोग) कोण करे तेवो प्रश्न ऊभो करेल छे. तेना प्रत्युत्तरमां से चुनडी पहेलां नेमिनाथे, पछी गजसुकुमाले तेमज पछी क्रमे क्रमे सुदर्शन शेठे, जम्बूस्वामीए तथा सीता, कुन्ता, द्रौपदी वगेरे महासतीओए ओढी-उपभोगी छे तेवू वर्णन छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90