Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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________________ 946 अनंगपविट्ठसुत्ताणि गवेसइ ण गवसंतं वा साइजइ // 58 // जे भिक्खू इत्तरियपि उवहिं ण पडिलेहेई ण पडिलेहेंतं वा साइजइ / तं सेवमाणे आवजइ मासियं परिहारहाणं उग्घाइयं // 59 // णिसीहऽज्झयणे बिइओ उद्देसो समत्तो // 2 // तइओ उद्देसो जे भिक्खू आगंतारेसु वा आरामागारेसु वा गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा अण्णउत्थियं वा गारत्थियं वा असणं वा 4 ओभासिय 2 जायइ जायंतं वा साइजइ ॥१॥एवं अण्णउत्थियाओ वा गारत्थियाओ वा,अण्णउत्थिणी वा गारस्थिणी वा:अण्णउत्थिणीओ वा गारत्थिणीओ वा असणं वा४ ओभासिय 2 जायइ जायंतं वा साइजइ // 2-3-4 // जे भिक्खू आगंतारेसु वा आरामागारेसु वा गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा कोउहल्लपडियाए पडियागय समाणं अण्णउत्थियं वागारत्थियं वा अण्णउत्थियाओ वा गारस्थियाओवा,अण्णउत्थिणी वा गारस्थिणी वा,अण्णउत्थिणीओ वा गारस्थिणीओ वा असणं वा 4 ओभासिय 2 जायइ जायंतं वा साइजइ // 5-67-8 // जे भिक्खू आगंतारेसु वा आरामागारेसु वा गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा,अण्णउत्थिए हि वा गारस्थिए हि वा;अण्णउत्थिणीए वा गारत्थिणीए वा,अण्णउत्थिणीहि वा गारस्थिणीहि वा असणं वा 4 अभिहडं आहट्ट दिजमाणं पडिसेहेत्ता तमेव अणुवत्तिय 2 परिवेढिय 2 परिजविय 2 ओभासिय 2 जायइ जायंतं वा साइजइ // 9-10-11-12 // जे भिक्खू गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविढे पडियाइक्खित्ते समाणे दोच्चंपि तमेव कुलं अणुप्पविसइ अगुप्पविसंतं वा साइजइ // 13 // जे भिक्खू संखडिपलोयणाए असणं वा 4 पडिगाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 14 // जे भिक्खू गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविढे समाणे परं तिघरंतराओ असणं वा 4 अभिहडं आहट्ट दिजमाणं पडिगाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 15 // जे भिक्खू अप्पणो पाए आमज्जेज वा वा पमज्जेज वा आमज्जंतं वा पमज्जंतं वा साइज्इ // 16 // जे भिवखू अप्पणो पाए संबाहेज वा पलिमद्देज वा संवाहतं वा पलिमद्देतं वा साइजइ / / 17 // जे भिक्खू अप्पणो पाए तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा णवणीएण वा मक्खेंज वा भिलिंगेज वा मक्खेंतं वा भिलिंगेतं वा साइजइ // 18 // जे भिक्खू अप्पणो पाए लोद्वेण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा पउमचुण्णेण वा, उल्लोलेज वा