Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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________________ 974 अनंगपविट्ठसुत्ताणि महागिहसि वा एगो० इत्थीए सद्धिं विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा 4 आहारेह उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठवेइ अण्णयरं वा अणारियं मेहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइजइ // 9 // जे भिक्खू राओ वा वियाले वा इस्थिमज्झगए इत्थिसंसत्ते इस्थिपरिवुडे अपरिमाणाए कहं कहेइ कहेंतं वा साइ. जइ // 10 // जे मिक्खू सगणिच्चियाए वा परगणिच्चियाए वा णिग्गंथीए सद्धिं गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे पुरओ गच्छमाणे पिट्ठओ रीयमाणे ओहयमणसंकप्पे चिंतासोयसागरसंपविढे करयलपल्हत्थमुहे अट्टज्झाणोवगए विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेह असणं वा 4 आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठवेइ अण्णयरं वा अणारियं मेहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइजइ // 11 // जे भिक्खू णायगं वा अणायगं वा उवासयं वा अणुवासयं वा अंतो उवस्सयस्स अद्धं वा राई कसिणं वा राई संवसावेइ (तं ण पडियाइक्खइ तं पडुच्च णिक्खमइ. वा पविसइ वा) संवसावेतं वा साइजइ // 12 // जे भिक्खू णायगं वा अणायगं वा उवासयं वा अणुवासयं वा अंतो उवस्सयस्स भद्धं वा राई कसिणं वा राइं संवसावेइ तं पडुच्च णिक्खमइ वा पविसइ बा णिक्खमंतं वा पविसंतं वा साइजइ // 13 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं समवाए सु वा पिंडणियरेसु बा इंदमहेसु वा खंदमहेसु वा रुद्दमहेसु वा मुगुंदमहेसु वा भूतमहेसुवा जखमहेसु वा णागमहेसु वा थूभमहेसु वा चेइयमहेसु वा रुक्खमहेसु वा गिरिमहेसु वा दरिमहेसु वा अगडमहेसु वा तडागमहेसु वा दहमहेसु वा णईमहेसु वा सरमहेसु वा सागरमहेसु वा आगरमहेसु वा अण्णयरेसु वा तहप्पगारेसु विरूवरूवेसु महामहेसु असणं वा 4 पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 14 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं उत्तरसालंसि वा उत्तरगिहंसि वा रीयमाणं असणं वा 4 पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेत वा साइजइ // 15 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं हयसालागयाण वा गयसालागयाण वा मंतसालागयाण वा गुज्झसालागयाण वा रहस्ससालागयाण वा मेहुणसालागयाण वा अरुणं वा 4 पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेतं वा साइजइ // 16 // जे भिक्खू रण्णो खतियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं सण्णिहिसंणिचयाओ खीरं वा दहिं वा णवणीयं वा साप्पं वा तेल्लं वा गुलं वा खंडं वा सक्करं वा मच्छंडियं वा अण्णयरं वा भोयणजाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 17 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुंदियाणं मुद्धाभि