Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text ________________ 1228 अनंगपविट्ठसुत्ताणि कहासमुप्पण्णो। संमोहसंभमविसाय,-सरणलिंगो रसो रोद्दो // 1 // रोद्दो रसो जहा-भिउडिविडंबियमुहो, संदट्ठो? इय रुहिरमाकिण्णो / हणसि पसुं असुरणिभो, भीमरसिय अइरोद्द ! रोद्दोऽसि // 2 // (5) विणओवयारगुज्झगुरु-; दारमेरावइक्कमुप्पण्णो / वेलणओ णाम रसो, लजा संकाकरणलिंगो // 1 // वेलणओ रसों जहा-किं लोइयकरणीओ, लजणीयतरं ति लजयामु त्ति / वारिजम्मि गुरुयणो, परिवंदइ जं बहुप्पोत्तं // 2 / / (6) असुइकुणिमदुइंसण-, संजोगब्भासगंधणिप्पण्णो। णिव्वेयऽविहिंसालक्खणो, रसो होइ बीभच्छो // 1 // बीभच्छो रसो जहा-असुइमलभरियणिज्झर-, सभावदुग्गंधिसव्वकालं पि / धण्णा उ सरीरकलिं, बहुमलकलुसं विमुंचंति // 2 // (7) रुववयवेसभासा-, विवरीयविलंबणासमुप्पण्णो / हासो मणप्पहासो, पगासलिंगो रसो होइ // 1 // हासो रसो जहा-पासुत्तमसीमंडिय-, पडि. बुद्धं देवरं पलोयंती / ही जह थणभरकंपण-, पणमियमज्झा हसइ सामा // 2 // (8) पियविप्पओगबंध-, वहवाहिविणिवायसंभमुप्पण्णो / सोइयविलवियपम्हाण-, रुण्णलिंगो रसो करुणो // 1 // करुणो रसो जहा-पज्झायकिलामिययं, बाहागयपप्पुयच्छियं बहुसो / तस्स विओगे पुत्तिय !, दुब्बलयं ते मुहं जायं / / 2 / / (9) णिद्दोसमणसमाहाण-,संभवो जो पसंतभावेणं / अविकारलव खणो सो, रसो पसंतो त्ति णायन्वो // 1 // पसंतो रसो जहा-सब्भावणिव्विगारं, उवसंतपसंतसोमदिट्ठीयं / ही जह मुणिणो सोहइ, मुहकमलं पीवरसिरीयं // 2 // एए णव कव्वरसा, बत्तीसादोसविहिसमुप्पण्णा / गाहाहिं मुणियबा, हवंति सुद्धा वा मीसा वा // 3 // सेत्तं गवणामे // 130 // से किं तं दसणामे ? दसणामे दसविहे पण्णत्ते / तंजहा-गोण्णे 1 गोगोण्णे 2 आयाणपएणं 3 पडिवक्खपएणं 4 पाहण्णयाए 5 अणाइयसिद्धतेणं 6 णामेणं 7 अवयवेणं 8 संजोगेणं 9 पमाणेणं 10 / से किं तं गोण्णे ? गोण्णेखमइ त्ति खमगो, तवइ त्ति तवणो, जलइ त्ति नलणो, पवइ त्ति पवणो / सेत्तं गोण्णे / से किं तं णोगोण्णे ? अकुंतो सकुंतो, अमुग्गो समुग्गो, अमुद्दो समुद्दो, अलालं पलालं, अकुलिया सकुलिया, णो पलं असइ त्ति पलासो, अमाइवाहए माइवाहए, अबीयवावए बीयवावए, गो इंदगोवए इंदगोवे / सेत्तं णोगोण्णे / से किं तं आयाणपएणं ? आयाणपएणं-(धम्मोमंगलं चूलिया) आवंती, चाउरंगिज्जं, असंखय, अहातथिज्जं, अद्दइज्जं, जण्णइज्जं, पुरिसइज्जं (उसुयारिज्ज), एलइज्जं, वीरियं, धम्मो, मग्गो, समोसरणं, जम्मइयं / सेत्तं आयाणपएणं / से किं तं पडिवक्ख.
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