Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ 42 पढमं परिसिढें णिगंथस्स एगाए य अगारीए एगयओ चिट्ठित्तए, एवं चउभंगी, अस्थि णं इत्थ केइ पंचमर थेरे वा थेरिया(इ)वा अण्णेसिं या संलोए सपडिदुवारे, एवं कप्पह एगयओ चिट्ठित्तए / एवं चेव णिग्गंथीए अगारस्स य भाणियव्वं // 39 // वासावास पज्जोसवियाणं णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा अपरिणाएणं अपरिणयस्स अट्ठाए असणं वा 1 पाणं वा 2 खाइमं वा 3 साइमं वा 4 जाव पडिगाहित्तए // 40 // से किमाहु भंते !, इच्छा परो अपरिणए भुंजिजा, इच्छा परो ण भुजिजा // 41 // वासावासं पज्जोसवियाणं णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा उदउल्लेण वा ससिणिद्धेण वा कारणं असणं वा 1 पाणं वा 2 खाइमं वा 3 साइमं वा 4 आहारित्तए // 42 // से किमाहु भंते !, सत्त सिणेहाययणा पण्णत्ता, तंजहापाणी 1 पाणिलेहा 2 णहा 3 णहसिहा 4 भमुहा 5 अहरोठ्ठा 6 उत्तरोट्ठा 7 / अह पुण एवं जाणि जा-विगओदगे मे काए छिण्ण सिणेहे, एवं से कप्पइ असणं वा 1 पाणं वा 2 खाइमं वा 3 साइमं वा 4 आहारित्तए // 43 // वासावासं पज्जोसवियाणं इह खलु णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा इमाइं अट्ठ सुहृमाइं जाइं छउमत्थेणं णिग्गंथेण वा णिग्गंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं जाणियव्वाइं पासियव्वाइं पडिलेहियव्वाइं भवंति, तंजहा-पाणसुहमं 1 पणगसुटुमं 2 बीयसुहुमं 3 हरियसुहमं 4 पुष्फसुहुमं 5 अंडसुहुमं 6 लेणसुहुमं 7 सिणेहसुहुमं 8 // 44 // से किं तं पाणसुहमे ? पाणसुहमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे 1, णीले 2, लोहिए 3, हालिद्दे 4 सुक्किल्ले 5 / अस्थि कुंथु अणुद्धरी णा(म समुप्पण्णा)मं, जा ठिया अचलमाणा छतमत्थाणं णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा णो चक्खुफासं हव्वमागच्छइ, जा अठिया चलमाणा छ उमत्थाणं णिगंथाण वा णिग्गंथीण वा चक्खुफासं हव्वमागच्छइ, जा छउमत्थेणं णिगंथेण वा णिग्गंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं जाणियव्वा पासियव्वा पडिलेहियव्वा हवइ / से तं पाणसुहुमे // 1 // से किं तं पणगसुहुमे ? पणगसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे, णीले, लोहिए, हालिद्दे, सुक्किले / अस्थि पणगसहमे तद्दव्वसमाणवण्णे णामं पण्णत्ते, जे छउमत्थेणं णिग्गंण वा णिगंथीए वा जाव पडिलेहियव्वे भवइ / से तं पणगसुहुमे // 2 // से किं तं बीयसुहुमे ? बीयसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे जाव सुकिल्ले / अस्थि बीयसुहुमे कणियासमाणवण्णए णामं पण्णत्ते, जे छ उमत्थेणं णिग्गंथेण वा णिग्गंथीए वा जाव पडिलेहियत्वे भवइ / से तं बीयसुहुमे 3 / / से किं तं हरियसुहुमे ? हरियसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे
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