Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ पढम परिसिट्ठ दसासुयक्खंधस्स अटुममज्झयणं कप्पसुत्तं णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं / एसो पंचणमुक्कारो, सव्वपावप्पणासणो / मंगलाणं च सव्वेसिं, पढम हवइ मंगलं // 1 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पंचहत्युत्तरे हुत्था, तंजहा-हत्थुत्तराहिँ चुए चहत्ता गब्भं वक्कंते 1 हत्थुत्तराहिं गब्भाओ गभं साहरिए 2 हत्थुत्तराहिं जाए 3 हत्थुत्तराहि मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पन्वइए 4 हत्युत्तराहिं अणते अणुत्तरे णिव्वाघाए णिरावरणे कसिणे पडि पुण्णे केवलवरणाणदंसणे समुप्पण्णे 5 साइणा परिणिव्युए भयवं 6 // 2 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे आसाढसुद्धे. तस्स णं आसाढसुद्धस्स छट्ठीपक्खेणं महाविजयपुप्फुत्तरपवरपुंडर याओ महाविमागाओ वीसंसागरोवमट्टिइयाओ आउक्खएणं भवक्खएणं टिइवखएणं अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे मारहे वासे दाहिणभरहे इमीसे ओसप्पिीए सुसमसुममाए समाए विइक्कंताए 1 सुसमाए समाए विइक्कंताए 2 सुसमदुसमाए समाए विइक्कंताए 3 दुसमसुसमाए समाए बहुविइक्कंताए-सागरोवमकोडाकोडर्डीए वायाली(साए)सवाससहस्सेहिं अणियाए पंचहत्तरिवासेहिं अद्धणवमेहि य मासेहिं सेसेहिइकवीसाए तित्थयरेहिं इक्खागकुलसमुप्पण्णेहि कासवगुत्तेहि, दोहि य हरिवंसकु.लसमुप्पण्णेहिं गोयमसगुत्तेहिं, तेवीसाए तित्थयरेहि विइक्कंतेहिं, समणे भगव महावीरे च (रिमे)रमतित्थयरे पुन्वतित्थयरणिहिटे माह णकुंडग्गामे णयरे उसमदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि हत्थुत्तराहिं णक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आहारववतीए भववक्कं तीए सरीरवकंतीए कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्ते // 3 // समणे भगवं महावीरे तिण्णाणोवगए यावि हुत्था-चइस्सामित्ति जाणइ, चयमाणे ण जाणइ, चुएमित्ति
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