Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ कप्पसुत्तं-सिरिमहावीरचरियं 7 पणामं करेइ 2 त्ता देवाणंदाए माहणीए सपरिजणाए ओसोवणिं दलइ 2 त्ता असुभे पुग्गले अवहरइ 2 त्ता सुभे पुग्गले पक्खिवइ 2 त्ता अणुजाणउ मे भ[य]गवंतिकटु समणं भगवं महार्वरं अवाबाहं अव्वाबाहेणं दिवेणं पहावेणं करयलसंपुडेणं गिण्हइ 2 त्ता जेणेव खत्तियकुंडग्गामे जयरे जेणेव सिद्धत्थस्स खत्तियस्स गिहे जेणेव तिसला खत्तियाणी तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता तिसलाए खत्तियाणीए सपरिजणाए ओसोवणिं दलइ 2 त्ता भसुभे पुग्गले अवहरह 2 त्ता सुभे पुग्गले पक्खिवइ 2 त्ता समण भगवं महावीरं अव्वाबाहं अव्वाबाहेणं तिसलाए खत्तियाणीए कुच्छिसि गम्भत्ताए साहरइ[२त्ता], जे वि य णं से तिसलाए वत्तियाणीए गब्भे तं पि य णं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिंसि गब्भत्ताए साहरइ 2 त्ता जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए // 26-27 // ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जवणाए उद्धृयाए सिग्घाए दिव्वाए देव. गईए तिरियमसंखिजाणं दीवसमुद्दाणं मझमज्झेणं जोयणसाहस्सिएहिं विगहेहिं उप्पयमाणे 2 जेमामेव सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिसए विमाणे सक्कंसि सीहासणंसि सक्के देविदे देवराया तेणामेव उवागच्छद्द 2 त्ता सक्म्स देविंदस्स देवरको एय. माणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणइ // 28 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जेसे वासाणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोयबहुले तस्स णं आ(अस्)सोय. बहुलस्स तेरसीपलेणं बासीइराइदिएहिं विइक्कंतेहिं तेसीइमस्स राइंदियस्स अंतरा वट्टमा(णस्स)णे हियाणुकंपएणं देवेणं हरिणेगमेसिणा सक्वयणसंदिटेणं माहणकुंड. ग्गामाओ जयराओ उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ खत्तियकुंडग्गामे णयरे णायाणं खत्तियाणं सिद्धत्थस्स खत्तियस्स कासवगुत्तस्स भारियाए तिसलाए खत्तियाणीए वासिट्ठसगुत्ताए पुवरत्तावरत्तकालसमयसि हत्थुत्तराहिं णखत्तेणं जोगमुवागएणं अव्वाबाहं अव्वाबाहेणं कुच्छिसि गम्भत्ताए साहरिए // 29 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे तिण्णाणोवगए यावि हुत्था, तंजहा-साहरिज्जिस्सामित्ति जाणइ, साहरिजमाणे ण जाणइ, साहरिएमित्ति जाणइ / / 30 // जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे देवागंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ तिसलाए खत्तिया १हिएण-अप्पणो इंदस्स य हियकारणा तहा अणुकंपएणं-भगवओ भत्तेणं ति अट्ठो।
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