Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ पढमं परिसिठं यंसि वग्धारियपाणी कालगए विइक्कंते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे // 168 // पासस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स दुबालस वाससयाई विइक्कताई, तेरसमस्स(णं) य अयं तीसइमे संवच्छरे काले गच्छइ // 169||23 // इइ सिरिपासजिणचरियं समत्तं // __ सिरिणेमिणाहचरियं तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिढणेमी पंचचित्ते हुत्था, तंजहा-चित्ताहिं चुए चइत्ता गम्भं वक्कंते, तहेव उक्खेवो जाव चित्ताहिं परिणिव्बुए // 170 // तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा भरिट्ठणेमी जे से वासाणं च उत्थे मासे सत्तम पवखे कत्तियबहुले तस्स णं कत्तियबहुलस्स बारसीपक्खणं अपराजियाओ महाविमाणाओ बत्तीसं सागरोवमट्टिइयाओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे मारहे वासे सोरियपुरे णयरे समुद्दविजयस्स रण्णो भारियाए सिवाए देवीए पुव्वरत्तावरत्तकालसमयं सि जाव चित्ताहिं गब्भत्ताए वक्ते, सव्वं त(मे)हेव सुविणदंसणदविणसंहर. णाइयं इत्थ भाणियव्वं // 17 // तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठणेमी जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्धे तस्स णं सावणसुद्धस्स पंचमीपक्खेणं णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव चित्ताहिं णखत्तेणं जोगमुवार.एणं आरोग्गारोग्गं दारय पयाया। जम्मणं समुद्दविजयाभिलावेणं णेयध्वं जाव तं होउ णं कुमारे अरिटेणेमी णामेणं। अरहा अरिट्ठणेमी दक्खे नाव तिण्णि वाससयाई कुमारे अगारवासमज्जे वसित्ताणं पुणरवि लोगंतिएहिं जीयकप्पिएहिं देवेहिं तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता ॥१७२।।जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्धे तस्स णं सावणसुद्धस्स छट्ठीपक्खेणं पुव्वण्हकालसमयंसि उत्तरकुराए सिवि(सी)याए सदेवमणुयासुराए परिसाए अणुगम्ममाणमग्गे जाव बारवईए णयरीए मज्झमज्झेणं णिग्गच्छइ 2 त्ता जेणेव रेवयए उजाणे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता असोगवरपायवस्स अहे सीयं ठावेइ 2 त्ता सीयाओ पच्चोरुहइ 2 ता सयमेव आमरण मल्लालंकारं ओमुयइ 2 त्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ 2 त्ता छटेणं भत्तेणं अपाण 1 भगवतंसि गम्भत्थे माऊए रिटरयणमया मी-चक्कधारा सुविणे दिट्ठा तओऽरिट्ठणेमी, अकारस्स अमंगलपरिहारहत्तणओ अरिट्ठणेमित्ति, रिट्ठसद्दों अमंगलबाचित्ति / 2 अपरिणीयत्तणओ /
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