Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ पढम परिसिढं बलदेवा वा वासुदेवा वा अंतकुलेसु वा जाव मिक्खागकुलेसु वा० आयाइंसु वा 3, कुच्छिसि गम्भत्ताए वक्कमिंसु वा 3, णो चेव णं जोणीजम्मणणिक्खमणेणं णिव खमिंसु वा 3 // 22 // अयं च णं समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वामे माहणकुंडग्गामे णयरे उसमदत्तस्स माणस कोडालसगुत्तम्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गम्भत्ताए वक्ते // 23 // तं जीयमेयं तीयपच्चुप्पण्णमगागयाणं सक्काण देविंदाणं देवराईणं अरहते भगवंते तहप्पगारेहितो अंतकुलेहितो जाव माहणकुले हितो तहप्पगारेसु उम्गकुलेसु वा भोगकुलेसु वा जाब हरिवंसकुलेसु वा अण्णयरेसु वा तहप्पगारेसु विसुद्ध जाइ कुलवंसेसु साहरा वित्तए // 24 // तं गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं माहणकुंडग्गामाओ णयराओ उसमदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ खत्तियकुंडग्गामे णयरे णायाणं वत्तियाणं सिद्धम्म खत्तियस्स कासवगुत्तस्स भारियाए तिसलाए खत्तियाणीए वासिट्ठसगुत्ताए कुच्छि सि गब्भत्ताए साहराहि, जे वि य णं से तिसलाए खत्तियाणीए. गब्मे तं पि य गं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुाच्छंसि गब्भत्ताए साहराहि साहरिता मम एयमाणत्तिय खिप्पामेव पच्चप्पिणाहि // 25 // तए णं से हरिणेगमेसी अग्गाणीयाहिबई देवे सक्केणं देविदेणं देवरण्णा एवं वुत्ते समाणे हट्ठलुट्ट जाव हियए करयल जाव त्तिकटु एवं जं देवो आगवे इत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ 2 त्ता सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो अंतियाओ पडिणिक्खमइ 2 त्ता उत्तरपुरच्छिम दिसीभागं अवकमइ 2 त्ता वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहणइ २त्ता संखिजाई नोयणाई दंडं णिसिरइ, तंजहा-रयणाणं वइराणं वेरुलियाणं लोहियवग्वाणं मसारगल्लाणं हमगव्भाणं पुलयाणं सोगंधियाणं जोईरसाणं अंजणाणं अंजणपुल्याणं नायरुवाणं सुभगाणं अंकाणं फलिहाणं रिट्ठाणं, अहाबायरे पुग्गले परि साडेइ 2 त्ता अहासुहुमे पुग्गले परिया(ए)दियइ 2 ता दुच्चंपि वेउव्वियसमुन्छाए णं समोहण इ 2 त्ता उत्तरवेउवियरूवं विउब्वइ 2 त्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चलाए चंडाए ज(य)इणाए उद्धृयाए सिन्धाए दिव्वाए देवगई ए वीइवयमाणे 2 तिरियमसंखिजाणं दीवसमुद्दाणं मझंमज्झेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे जेणेब माहणकुंडग्गामे णयरे जेणेव उसभदत्तस्स माहणस्स गिहे जेणेव देवाणंटा माहणी तेणेव उवागच्छइ 2 ता आलोए समणस्स भगवओ' महावीररस
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