Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 720
________________ कप्पसुत्तं-सिरिपासजिणचरियं 27 बावत्त(रिं)रि वासाई सव्वाउयं पालइत्ता खाणे वेयणिजाउयणामगुत्ते इमीसे ओस. प्पिणीए दूसमसुसमाए समाए बहुविइक्कंताए तिहि वासेहि अद्धणवमेहि य मासेहि सेसेहिं पावाए मज्झिमाए हथिवालम्स रण्णो रज्जु(य)गसमाए एगे उ.ब.ए छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं साइणा णखत्तेणं जोगमुवाएगणं पच्चूसकालसमय सि संपलियंकणिसण्णे पणपण्णं अज्झ्यणाई कल्लाणपलविवागाई पणपणं अजय यणाई पारपल. हिवागाइं छत्तीसं च अपुट्ठवागरणाई वागरित्ता पहाण णाम अज्झयण विभावेमाणे विभावेमाणे कालगए विइक्कंते समुजाए छिण्णजाइजरामरणबंधणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिणिबुडे सव्वदुक्खप्पहीणे // 147 / समणस्स भगवओ महावीरस्स नाव सचदुक्खापहीणस्त णव वाससयाई विइक्कंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ / वायणंतरे पुण अयं तेणउए संवच्छरे काले गच्छद इइ दीसइ // 148 // 24 // इइ सिरिमहावीरचरियं समत्तं / / सिरिपासजिणचरियं तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे [f] अरहा पुरिसादाणीए पंचविसाहे हुन्था, तंजहा-विसाहाहिं चुए चइत्ता गम्भ ववकंते 1, विसाहाहि जाए : विसाहाहि मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पन्चइए 3, विमाहाहिं अणंते अगुत्तरे णिव्वाघाए णिरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरणाणदंसणे समुप्पप्ण 4, विसाहाहिं परिणि व्बु(डे)ए 5 // 149 // तेण कालेणं तेणं समए ण पासे अरहा पुरिसादाण ए जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहले तस्स णं चित्तबहुलस्स चरथीपक्खेणं पाणयाओ कप्पाओ वीसंसागरोवमट्टिइयाओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जद्दीवे दीवे भारहे वासे वाणारसीए णयरीए आससेणस्स रणो वामाए देवीए पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि विसाहाहि णक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आहारवक्तए भववक्कंतीए सरीखक्कंतीए कुच्छिसि गम्भत्ताए वक्ते // 150 // पासे णं अरहा पुरिसादाणीए तिण्णाणोवगए यावि हुत्था, तंजहा-चइस्सामित्ति जाणइ, चयमाणे ण जाणइ, चुएमित्ति जाणइ, तेणं चेव अभिलावेणं सुविणदंसणविहाणेणं सव्वं जाव णियगं गिह 1 कप्पसुत्तस्स पुत्थयलिहणकालजाणावणट्ठा सुत्तमिणं देवडिगणिखमासमणेहिं लिहियं, वीरणिव्वाणाओ णवसयअसीइवरिसे पुत्थयारूढो सिद्धतो जाओ तया कप्पो वि पुत्थयारूढो जाओ त्ति अट्ठो / एवं सव्वजिणंतरेसु अवगंतव्वं /

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