Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ अनगपावट 1278 अनंगपविट्ठसुत्ताणि यणट्ठाए ठामि काउसग्गं, अण्णत्थ ऊससिएणं णीससिएणं खासिएणं छीएणं जंभाइ. एणं उड्डएणं वायणिसग्गेणं भमलिए पित्तमुच्छाए सुहुमेहिं अंगसंचालेहि सुहुमेहिं खेलसंचालेहिं सुमेहिं दिट्ठिसंचालेहिं एवमाइए हिं आगारेहिं अभग्गो अविराहिओ. हुज मे काउसग्गो, जाव अरिहंताणं भगवंताणं णमोक्कारेणं ण पारेमि ताव कायं ठाणेणं मोणेणं झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि // 5 // इइ पढमं सामाइया. वस्सयं समत्तं // 1 // - अह बीयं चउवीसत्थवावस्सयं लोगस्स उज्जोयगरे, धम्मतित्थयरे जिणे। अरिदंते कित्तइस्सं, चउवीसंपि केवली // 11 // उसभमजियं च वंदे, संभवमभिणंदणं च सुमई च / पउमप्पहं सुपासं, जिणं च चंदप्पहं वंदे // 2 // सुविहिं च पुप्फदंतं, सीयलसिज्जंतं वासुपुज्जं च / विमलमणंतं च जिणं, धम्म संतिं च वंदामि // 3 // कुंथु अरं च मालिं, वंदे मुणिसुव्वयं णमिजिणं च / वंदामिऽरिटुणे मि, पासं तह वद्धमाणं च // 4 // एवं मए अभित्थुआ, विहूयरयमला पहीणजरमरणा / चउवीसपि जिणवरा, तित्थयरा मे पसीयंतु // 5 // कित्तियवं दियमहिया, जे ए लोगस्स उत्तमा सिद्धा / आरुग्गबोहिलाभ, समाहिवरमुत्तमं दितु // 6 / / चंदेसु णिम्मलयरा, आइच्चेसु अहियं पयासयरा। सागरवरगंभीरा, सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु // 7 // इइ बीयं चउवीसत्थबा (उक्कित्तणा) वस्सयं समत्तं // 2 // अह तइयं वंदणावस्सयं इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिजाए णिसीहियाए; अणुजाणह मे मिउग्गहं, णिसीहि अहोकायं कायसंफासं, खमणिज्जो भे किलामो, अप्पकिलंताणं बहु 1 'आगमे तिविहे जाव मूलगुण पंच०' 'इच्छामि टामि०' 'सव्वस्स वि देवसियं दुचिंतियं दुभासियं दुचिट्ठियं दुपालियं०' एए सव्वे पाढा मोणेणं पढमावस्सयज्झाणे झाइज्जति, पुणो तइयावस्सयस्स पच्छा चउत्थावस्सयस्साइंसि ठिच्चा पुडुचारणपुव्वगं उच्चारिज्जति / एएसु 'आगमे० 'इच्छामि ठामि 0' एए दुण्णि अद्धमागहीए 'सव्वस्स वि०' अद्धमद्धमागहीए अद्धं भासाए / सेसा भिण्णभिण्णभासाए लभंति तत्तोऽवसेया। . सय
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