Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 644
________________ अणुओगदारसुत्तं-खेत्तपमाणे 1235 उत्तमकुलप्पसूया, उत्तमपुरिसा मुणेयव्वा // 1 // होति पुण अहियपुरिसा, अट्ठसयं अंगुलाण उविद्धा / छण्णउद अहमपुरिसा, चउरुत्तर मििमल्ला उ॥२॥ हीणा वा अहिया वा, जे खलु सरसत्तसारपरिहीणा / ते उत्तमपुरिसाणं, अवस्स पेसत्तणमुवेति // 3 // एएणं अंगुलपमाणेणं-छ अंगुलाई-पाओ, दो पाया विहत्थी, दो विहत्थीओ=रयणी,दो रयणीओ=कुच्छी,दो कुच्छीओ दंडं धणू जुगे णालिया अक्खे मुसले,दो धणुसहस्साई गाउयं, चत्तारि गाउयाइं-जोयणं / एएणं आयंगुलपमाणेणं किं पओयणं ? एएणं आयंगुलेणं जे णं जया मणुस्सा हवंति तेसि णं तया णं आयंगुलेणं अगडतलागदहणईवाविपुक्खरिणीदी हियगुंजालियाओ सरा सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ बिलपंतियाओ आरामुजागकाणगवगवणसंडवणराईओ,सभापवाथूभखाइयपरिहाओ पागारअट्टालयचरियदारगोपुरपासायघरसरणलयणआवणसिंघाडगतिगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहसगडरहजाणजुग्गगिल्लिथिल्लिसिवियसंदमाणियाओ लोहीलोहकडाहकडिल्लयभंडमत्तोवगरणमाईणि अन्जकालियाई च जोयणाई मविज्जंति / से समासओ तिविहे पण्णत्ते / तंजहा-सूई अंगुले 1 पयरंगुले 2 घणंगुले 3 / अंगुलायया एगपएसिया सेढी सूई अंगुले, सूई सूईगुणिया पयरंगुले, पयरं सूईए गुणियं घणं. गुले / एए सि णं भंते ! सूइअंगुलपयरंगुलघणंगुलाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ! सव्वत्थोवे सूइअंगुले,पयरंगुले असंखेजगुणे, घणंगुले असंखेजगुणे / सेत्तं आयंगुले / से किं तं उस्सेहंगुले ? उस्सेहंगुले अणेगविहे पण्णत्ते / तंजहा-गाहा-परमाणू तसरेणू , रहरेणू अग्गयं च वालस्स / लिक्खा जूया य जवो, अट्ठगुण-विवड्डिया कमसो॥१॥ से किं तं परमाणू ? परमाणू दुविहे पण्णत्ते / तंजहासुहुमे य 1 वबहारिए य २।तत्थ णं जे से सुहुमे से टप्पे / तत्थ णं जे से ववहारिए से णं अणताणताणं सुहुमपोग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं ववहारिए परमाणुपोग्गले णिप्फजइ / से णं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेजा ? हंता ! ओगाहेजा। से णं तत्थ छिज्जेज वा भिज्जेज वा ? णो इणढे समढे, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ / से णं भंते ! अगणिकायस्स मझमझेणं वीइवए जा ? इंता! वीइवएजा। से णं भंते ! तत्थ डहेजा ? णो इणढे समढे, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ / से णं भंते ! पुक्खरसंवदृगस्स महामेहस्स मज्झमज्झेणं वीइवएजा ? हंता ! वीइवएजा। से गं तत्थ उदउल्ले सिया? णो इणढे समढे,णो खलु तत्थ सत्थं कमइ / से ण भंते ! गंगाए महाणईए पडिसोय हव्वमागच्छेजा ? हंता ! हव्वमागच्छेजा / से णं तत्थ विणिघाय

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