Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ 1252 अनंगपविट्ठसुत्ताणि तीसं सागरोवमाई / विजय वेजयंतजयंतअपराजियविमाणेसु णं भंते ! देवाणं केव इयं कालं ठिई पण्णत्ता 1 गोयमा ! जहण्णेणं इक्वतीसं सागरोवमाई,उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई / सव्वदृसिद्धे णं भंते ! महाविमाणे देवाणं केवइयं कालं टिई पण्णता ? गोयमा ! अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई / सेत्तं सुहुमे अद्धापलिओवमे। सेत्तं अद्धापलिओवमे // 140 // से किं तं खेत्तपलिओवमे ? खेत्तपलिओवमे दुविहे पण्णत्ते / तंजहा-सुहुमे य 1 वावहारिए य 2 / तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे / रात्थ णं जे से वावहारिए-से जहाणामए पल्ले सिया-जोयणं आयामविक्खंभेणं, जोयणं उव्वेहेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं,से णं पल्ले एगाहियबेयाहियतेयाहिय जाव भरिए वालग्गकोडीणं, ते णं बालग्गा णो अग्गी डहेजा जान णो पूइत्ताए. हव्वमाग-- च्छेजा, जे णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा तेहिं वालग्गेहि अप्पुण्णा तओ णं समए समए एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे जाव णिट्ठिए भवद से तं वावहारिए खेत्तपलिओवमे / गाहा-एएसिं पल्लाणं, कोडाकोडी भवेन दसगुणिया। तं वावहारियस्स खेत्तसागरोवमस्स,एगस्स भवे परिमाणं // 1 // एएहिं वावहारिएहिं खेत्तपलिओवमसागरोवमेहि किं पओयणं 1 एएहिं वावहारिएहि खेत्तपलिओवमसागरोवमेहिं णत्थि किं चिप्पओयणं,केवलं पण्णवणा पण्णविजइ / सेत्तं वावहारिए खेत्तपलिओवमे।से किं तं सुहमे खेत्तपलिओवमे ? सुहुमे खेलपलिओवमे-से जहाणामए पल्ले सिया-जोयणं आयामविक्खंभेणं जाव तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहियबेयाहियतेयाहिय जाव भरिए वालग्गकोडीणं, तत्थ ण एगमेगे धालग्गे असंखिजाइं खंडाई कजइ, ते णं वालग्गा दिट्ठिओगाहणाओ असंखेजइ. भागमेत्ता सुहमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाओ असंखेजगुणा, ते णं वालग्गा जो अग्गी डहेजा जाव णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेजा, जे णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा तेहि वालग्गेहिं अप्फुण्णा वा अणाफुण्णा वा तओ णं समए समए एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नाव णिट्टिए भवइ सेत्तं सुहमे खेत्तपलिओवमे / तत्थ णं चोयए पण्णवर्ग एवं वयासी-अस्थि णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा जे णं तेहिं वालग्गेहिं अणाफुण्णा ! हता! अस्थि / जहा को दिटुंतो ? से जहाणामए कोट्ठए सिया कोहंडाणं भरिए, तत्थ णं माउलिंगा पक्खित्ता ते वि माया, तत्थ णं बिल्ला पक्खित्ता ते वि माया, तत्थ णं आमलगा पविखता ते वि माया, तत्थ णं बयरा पक्खित्ता ते वि माया, तत्थ णं चणगा- पक्खित्ता ते वि
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