Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 684
________________ अणुओगदारसुत्तं-णए 1275 हणावेइ य, सममणइ तेण सो समणो // 3 // णस्थि य से कोइ वेसो, पिओ य सब्वेसु चेव जीवेसु / एएण होइ समणो, एसो अण्णोऽवि पजाओ // 4 // उरगगिरिजलणसागर-, गहतलतरुगणसमो य जो होइ / भमरमियधरणि जलरह-, रविपवणसमो य सो समणो // 5 // तो समणो जइ सुमणो, भावेण य जइ ण होइ पावमणो / सयणे य जणे य समो, समो य माणावमाणेसु // 6 // से तं णोआगमओ भावसामाइए / से तं भावसामाइए / से तं सामाइए / से तं णामणिप्पण्णे / से किं तं सुत्तालावगणिप्फण्णे ? इयाणिं सुत्तालावयणिप्फण्णं णिवखेवं इच्छावेइ, से य पत्त. लक्खणे वि ण णिक्खिप्पइ / कम्हा 1 लाघवत्थं / अस्थि इओ तइए अणुओगदारे अणुगमे त्ति / तत्थ णिक्खत्ते इहं णिक्खित्ते भवइ / इहं वा णिक्खित्ते तत्थ णिक्खित्ते भवइ / तम्हा इहं ण णिक्खिप्पड़, तहिं चेव णिक्खिप्पइ / से तं णिक्खेवे / / 151 // से किं तं अणुगमे 1 अणुगमे दुविहे पण्णत्ते / तंजहा-सुत्ताणुगमे य 1 णिज्जुत्तिअणुगमे य / से किं तं णिज्जुचिअणुगमे ? णिज्जुत्तिअणुगमे तिविहे पण्णत्ते / तंजहा-णिवखेव णिज्जुत्तिअणुगमे 1 उवग्यायणिज्जुत्तिअणुगमे 2 सुत्तप्फासियणिज्जुत्तिअणुगमे 3 / से किं तं णिक्खेवणिज्जुत्तिभणुगमे १.णिक्खेवणिज्जुत्तिअणुगमे अणुगए / से तं णिव खेवणिज्जुत्तिअणुगमे / से किं तं उवग्यायणिज्जुत्तिअणुगमे ? 2 इमाहिं दोहिं मूलगाहाहिं अणुगंतव्यो, तंजहा-गाहाओ-उद्देसे णिद्देसे य, णिग्गेमे खेत काले पुरिसे य / कारण पञ्चर्य लक्खणे,गएँ, समोयारणाणुमएं // 1 // कि कई विहं करस कहिं, केसु, कहं किच्चिर हवइ कालं / कई संतर-मविरहियं, भवागरिस फासण णिरुत्ती // 2 // सेत्तं उवग्घायणिज्जुत्तिअणुगमे / से किं तं सुत्तप्फासियणिज्जुत्तिअणुगमे ? सुत्तप्फासिय. णिज्जुत्तिअणुगमे-सुत्तं उच्चारेयव्वं-अक्खलियं, अमिलियं,अवच्चामेलियं, पडिपुण्णं, पडिपुण्णघोसं, कंठोट्ठविप्पमुक्कं, गुरुवायणोवगयं / तओ तत्थ णज्जिहिइ ससमयपयं वा परसमयपयं वा, बंधपयं वा मोक्खपयं वा, सामाइयपयं वा णोसामाइयपयं वा / तओ तम्मि उच्चारिए समाणे केसिं च णं भगवंताणं केइ अत्याहिगारा अहिगया भवंति,केइ अत्थाहिगारा अणहिगया भवंति / तओ तेसिं अणहिगयाणं अहिगमणट्टाए पयं पएणं वण्णइस्सामि-गाहा-संहिया य पयं चेव, पयत्थो पयविन्यहो / चालणा य पंसिद्धी य, छव्विहं विद्धि लक्खणं / / 1 // से तं सुत्तप्फासिय णिज्जुत्तिअणुगमे / से तं णिज्जुत्तिअणुगमे / से तं अणुगमे // 152 // से किं तं णए ? सत्त मूलणया पण्णत्ता। तंजहा–णेगमे 1 संगहे 2 ववहारे 3 उज्जुसुए 4 सद्दे 5 समभिरूढे 6 एवं.

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