Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 605
________________ 1166 अनंगपविट्ठसुत्ताणि णोआममओ भावावस्सयं तिविहं पण्णत्तं / तंजहा-लोइयं 1 कुप्पावयणिय 2 लोगु. त्तरियं 3 // 24 // से किं तं लोइयं भावावस्सयं ? लोइयं भावावस्सयं-पुटवण्हे भारहं, अवरण्हे रामायणं / सेत्तं लोइयं भावावस्सयं // 25 // से किं तं कुप्पावयणियं भावा वस्सयं ! कुप्पावयणियं भावावस्सयं-जे इमे चरगचीरिंग जाव पासंडत्था इज्जंजलि' होमजपोंदुरुक्कणमुकारमाइयाई भावावस्सयाई करेंति / सेत्तं कुप्पावयणियं भावावरसय // 26 // से किं तं लोगुत्तरियं भावावस्सय ? लोगुत्तरियं भावावस्सयं-जे(जस)णं इमे-- समणे वा, समणी वा,सावओवा, सावियावा, तच्चित्ते, तम्मणे, तल्लेसे,तदझवसिए तत्तिव्वज्झवसाणे, तदट्ठोवउत्ते', तदप्पियकरणे, तब्भावणाभाविए, अप्णत्थ कत्था मणं अकरेमाणे उभओ-कालं आवस्सयं करे[न्ति]इ / सेत्तं लोगुत्तरियं भावावस्सयं / सेत्तं णोआगमओ भावावस्सयं / सेत्तं भावावस्सध्यं // 27 // तम्स णं इमे एगट्टिया णाणाघोसा णाणावंजणा णामधेजा भवंति; तंजहा-गाहा-आवस्यं अवस्संकरणिज, धुवणिग्गहो विसोही य / अज्झयणछक्कवेग्गो, जाओ आराणा मग्गो // 1 // समणेणं सावरण य, अवस्स कायव्वयं हवइ नम्हा / अंतो अहोणिसस्स य, तम्हा 'आवस्सयं' णाम // 2 // सेत्तं आवस्सयं // 28 ॥से किं तं सुयं ? सुयं चउविहं पण्णत्तं / तंजहा-णामसुयं 1 ठवणासुयं 2 दव्वसुयं 3 भावसुयं 4 // 29 // से किं तं णामसुयं ?णामसुयं-जस्स णं जीवस्स वा जाव 'सुए' त्ति णामं कजइ / सेत्तं णामसुयं // 30 // से किं तं ठवणासुयं ? ठवणासुयं-जं णं कट्टकम्मे वा जाव ठवणा ठविजह / सेत्तं ठवणासुयं // 31 // णामठवणाणं को पइविसेसो ? णामं आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होजा, आवकहिया वा // 32 // से किं तं दव्वसुयं ? दव्वसुयं दुविहं पण्णत्तं तंजहा-आगमओ य 1 णो आगमओ य 2 // 33 // से किं तं आगमओ दव्वसुयं ? आगमओ दव्वसुयं-जस्स णं 'सुए' त्ति पयं सिक्खियं, ठियं, जियं नाव णो अणुप्पेहाए / कम्हा ? अणुवओगो' दव्वमिति कटु / णेगमस्स णंएगो अणुवउत्तो आगमओ एगं दव्वसुयं जाव तिण्हं सद्दणयाणं जाणए अणुवउत्ते अवत्थु / कम्हा ? बड जाणए, अणुवउत्ते ण भवइ, नइ अणुवउत्ते, जाणए ण भवइ, तम्हा णस्थि आगमओ दव्वसुयं / सेत्तं आगमओ दव्वसुयं // 34 // से किं तं णोआगमओ दव्वसुयं ? णोआगमओ दव्वसुयं तिविहं पण्णत्तं / तंजहा-जाणयसरीरदव्वसुयं 1 भवियसरीरदव्वसुयं 2 जाणयसरीरभवियसरीखरित्तं दव्वसुयं 3 // 35 / / से कि 1 जिणबयणधम्माणुरागरत्तमणे।

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