Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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________________ णिसीहसुत्तं उ. 14 995 सओस्से सुउदए सउत्तिंगपणगदगमट्टियमकडासंताणगंसि दुब्बंधे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयावेतं वा पयावेतं वा -साइजइ // 39 // जे भिक्खू थूणं सि वा गिहेलुयंसि वा उसुयालंसि वा कामजलंसि बा दुबद्धे दुगिकि बत्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेतं वा साइजइ // 40 // जे भिक्खू कुलियंसि वा भित्तिसि वा सिलंसि वा लेलुसि वा अंत(रि)लिक्खजायंसि वा दुब्बद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयावेतं वा पयावेतं वा साइज इ // 41|| जे भिव खू खंधंसि वा फलहंसि वा मंचंसि वा मंडवं सि वा मालं सि वा पासायंसि वा हम्मतलंसि वा अण्णयरंसि वा अंतलिक्खजायंसि वा दुबद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयावेत वा पयावेतं वा साइजइ // 42 // जे भिक्खू पडिमाहाओ पुढवीकायं णीहरइ णीहरावेइ णीहरियं आइट्ट देजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेतं वा साइजह // 43 // जे भिक्खू पडिग्गहाओ आउक्कायं णीहरइ णीहरावेइ णीहरियं आहट्ट देजमाणं पडिग्गाहेइ पडि. ग्गाहेंतं वा साइजइ / / 44 // जे भिक्खू पडिग्गहाओ तेउक्कायं णीहरइ णीहरावेइ णीहरियं आहट्ट देजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 45 // जे भिवखू पडिग्गहाओ कंदाणि वा मूलाणि वा पत्ताणि वा पुष्फाणि वा फलाणि वा बीयाणि वा हरियाणि वाणीहरइ णीहरावेइ णीहरियं आहट्ट देनमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजह // 46 / जे भिक्खू पडिग्गहाओ ओसहिबीयाणि णीहरइ णीहरावेद णीहरियं आहट्ट देजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेतं वा साइजइ // 47 // जे भिव खू पडिग्गहाओ तसपाणजाई णीहरइ णीहरावेइ णीहरियं आहट्ट देजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 48 // जे भिक्खू पडिग्गहनं कोरेइ कोरावेद कोरियं आहट्ट देजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेतं वा साइजइ // 49 // जे भिवखू णायगं वा अणायगं वा उवासगं वा अणुवासगं वा गामंतरंसि वा गामपहंतरंसि वा पडिग्गह ओभासिय 2 जायइ जायंतं वा साइजइ // 50 // जे भिवखू णायगं वा अणायगं वा उवासगं वा अणुवासगं वा परिसामज्झाओ उद्ववेत्ता पडिगहं ओभासिय 2 जायइ जायंतं वा साइजइ // 51 // जे भिक्खू पडिग्गहणीसाए उडुबद्धं वसइ वसंतं वा साइजइ // 52 // जे मिक्खू पडिग्गहणीसाए वासावासं बसाइ संतं वा साइजइ / तं सेवमाणे आवजइ चाउम्मासियं परिहारहाणं उग्घाइयं / / 53 / / णिसीह झयणे चउद्दसमो उद्देसो समत्तो // 14 //