Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text ________________ 1174 अनंगपविट्ठसुत्ताणि खंडाई जाणइ पासइ / कालओ णंओहिणाणी जहण्णेणं आवलियाए असंखिजइभाग जाणइ पासइ, उक्कोसेणं असंखिजाओ उस्सप्पिणीओ अवसप्पिणीओ अईयम गागयं च कालं जाणइ पासइ / भावओ णं ओहिणाणी जहण्णेणं अणंते भावे जाणइ पासइ.. उक्कोसेणवि अणंते भावे जाणइ पासइ / सव्वभावाणमणंतभागं जाणइ पासइ // 16 // ओही भवपच्चइओ, गुणपच्चइओ य वण्णिओ दुविहो / तस्स य बहू विगप्पा, दवे खित्ते य काले य // 63 // णेरइयदेवतित्थंकरा य, ओहिस्सऽबाहिरा हुंति / पासंति सव्वओ खलु, सेसा देसेण पासंति // 64 // सेत्तं ओहिणाणपचक्खं // से कि तं मणपजवणाणं ? मणपजवणाणे णं भंते ! किं मणुस्साणं उप्पजइ अमगुस्साणं ? गोयमा ! मणुस्साणं णो अमणुस्साणं / जइ मणुस्साणं किं समुच्छिममणुम्साणं गभवतियमणुस्साणं ? गोयमा ! णो समुच्छिममणुस्साणं उपजइ गम्भवक्कंतियमगुस्साणं / जइ गन्भवक्कंतियमणुस्साणं, किं कम्मभूमियगन्भवक्कंतियमणुस्साणं, अकम्मभूमियगब्भवक्कंतियमणुस्साणं,अंतरदीवगगब्भवक्कंतियमणुस्साणं ? गोयमा! कम्मभूमियगम्भवक्कंतियमणुस्साणं, णो अकम्मभूमियगम्भवक्कंतियमणुस्साणं, णो अंतरदीवगगम्भवक्कंतियमणुस्साणं / जइ कम्मभूमियगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, किं संखिजवासाउयकम्मभूमियगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, असंखिजवासाउयकम्मभृमिय. गब्भवक्कंतियमणुस्साणं ? गोयमा ! संखेजवासाउयकम्मभूमियगम्भवक्कंतियमणुस्साणं, णो असंखेजवासाउयकम्मभूमियगब्भवक्कंतियमणुस्साणं / जइ संखेजवासाउयकम्मभूमियगम्भवक्कंतियमणुस्साणं, किं पजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमियगब्भवक्क्रतियमणुस्साणं, अपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमियगब्भवक्कंतियमणुस्साणं ? गोयमा ! पजत्तगखेजवासाउयकम्मभूमियगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, जो अपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमियगम्भवक्कंतियमणुस्साणं / जइ पजत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमियगब्भवक्कंतियमणुस्साणं,किं सम्मद्दिट्ठिपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमियगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, मिच्छद्दिट्ठिपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमियगम्भवक्कंतियमणुस्साणं,सम्मामिच्छद्दिछिपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमियगम्भवतियमणस्साणं ? गोयमा ! सम्मद्दिट्ठिपजत्तगसखेजवासाउयकम्मभूमियगब्भववकंतियमणुस्साणं, णो मिच्छदिट्ठिपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमियगब्भववतियमणुस्साणं, मो सम्मामिच्छद्दिटिपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमियगब्भवक्कं तियमणुस्साणं,जइ सम्मदिट्ठिपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमि यगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, कि संजयसम्म द्दिट्टि
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