Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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________________ 994 _ अनंगपविट्ठसुत्ताणि भिक्खू सुन्भिगंधे पडिग्गहे लद्धेत्ति कट्ट बहुदेवसिएण सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोएज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइज्जइ // 25 // जे भिक्खू दुन्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धत्तिकट्ट तेहलेण वा घए पा वा वसाए वा णवणीएण वा मक्खेज्ज वा भिलिंगेज्ज वा मस्तं वा भिलिगेतं वा साइज्जइ // 26 // जे भिक्खू दुन्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धेत्तिकट लोद्धेण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोलेज वा उव्वलेज वा उल्लोलेंतं वा उव्वलेतं वा साइजइ॥२७॥ जे भिक्खू दुब्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धेत्तिकटु सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोए ज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइज्जइ // 28 // जे भिक्खू दुब्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धेत्तिकटटु बहुदेव सिएण तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा णवणीएण वा.मव खेज वा भिलिंगेज वा मक्खेंतं वा मिलिंगेतं वा साइजइ // 29 // जे भिक्खू दुन्मिगंधे मे पडिग्गहे लद्धत्तिकट्ट बहुदेवसिएण लोद्धेण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोलेज वा उव्वलेज वा उल्लोलेंतं वा उव्वलंतं वा साइजइ // 30 // जे भिक्ख दुब्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्वेत्तिकटु बहुदेवसिएण सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज वा उच्छोलेतं वा पधोएंतं वा साइजह // 31 // जे भिक्खू अणंतरहियाए पुढवीए दुब्बद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले, पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेतं वा साइजइ // 32 // जे भिक्खू ससिणिद्धाए पुढवीए दुबद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिन्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेतं वा साइजइ // 33 // जे भिक्खू ससरवखाए पुढवीए दुब्बद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज आयातं वा पयावेतं वा साइजइ // 34 // जे भिक्खू मट्टियाकडाए पुढवीए दुब्बद्ध दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेतं वा साइजइ / / 35 // जे भिक्खू चित्तमंताए पुढवीए दुबंधे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयावेतं वा पयावेतं वा साइजइ / / 36 // जे भिक्खू चित्तमंताए सिलाए दुब्बंधे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयावेतं वा पयावेतं वा साइजइ // 37 // जे भिक्खू चित्तमंताए लेलूए दुब्बंधे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयावेतं वा पयावेतं वा साइजइ // 38 // जे भिक्खू कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्ठिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए