Book Title: Agam Suttani Satikam Part 25 Aavashyaka
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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अध्ययनं-६- [नि. १५६१]
२८५
चउत्थपंचमघरेण १०॥ तिगेण चिंतिजमाणाणं दस चेव, कहं ?, पढममबियततियघरेण एक्को १ पढमबितियचउत्थघरेण २ पढमबितियपंचमघरेण ३ पढमतईयचउत्थघरेण ४ पढमततियपंचमघरेण ५ पढमचउत्थपंचमघरेण ६ बितियततियचउत्थघरएण ७ बितियततियपंचमघरेण ८ बितियचउत्थपपंचमघरण ९ ततियचउत्थपंचमघरेण १०। चउक्कगेण चिंतिजमाणाणं पंच हवंति, कहं ?, पढमबितियततियचउत्थघरेण एक्को पढमबितियततियपंचमघरेण २ पढममबितियचउत्थपंचमघरेण ३ पढमततियचउत्थपंचमघरेण ४ बितियतयितचउत्थपंचमघरेण ५, पंचगेण चिंतिजमाणाण एगो चेव भवतित्तिगाथार्थः ।। एत्थ य एक्कगेण य जे पंच संजोगा दुगेण जे दस इत्यादि, एएसिं चारणीयापओगेण आगयफलगाहाओ तिन्नि
वयमिक्कगसंजोगाण हुंति पंचण्ह तीसईं भंगा। दुगसंजोगाण दसण्ह तिन्नि सट्ठा, सया हुंति ॥१॥
संजोगाण दसण्ह भंगसयं इक्कवीसई सट्ठा । चउसंजोगाण पुणो चउसट्ठिसयाणिऽसीयाणि ॥२॥
सत्तुत्तरि सयाई छसत्ताई च पंच संजोए। उत्तरगुण अविरयमेलियाण जाणाहि सव्वग्गं ॥३॥ सोलस चेव सहस्सा अट्ठसया चेव होंति अट्ठहिया ।
एसो उवासगाणं वयगहणविही समासेणं ॥४॥ व्याख्या-एताश्चतस्रोऽप्यन्यकृताः सोपयोगा इत्युपन्यस्ताः, एतासिं भावनाविही इमाथूलगपाणातिवातं पच्चक्खाइ दुविहं तिविहेण १ दुविहं दुविहेणं २ दुविहं एक्कविहेणं ३ एगविहं तिविहेण ४ एगविहं दुविहेण ५ एगविहं एगविहेण ६, एवं थूलगमुसावायअदत्तादाणमेहुणपरिग्गहेसु, एक्केके छभेदा, एए सव्वेवि मिलिया तीसं हवंतित्ति, ततश्च यदुक्तं प्राक् 'वयएक्कगसंजोगाण होंती पंचण्ह तीसई भंग'त्ति तद् भावितं, इदानिं दुगचारणिया-थूलगपाणाइवायं थूलगमुसावायं पच्चक्खाति दुविहंतिविहेण १ थूलगपाणाइवायं दुविहंतिविहेण, थूलगमुसावायं पुन दुविहं दुविहेण २, थूलगपपाणाइवायं २-३ थूलगमुसावायं पुन दुविहं एगविहेण ३ थूलगपाणाइवायं २-३ थूलगमुसावायं पुन एगविहंतिविहेण ४ थूलगपाणाइवायं २-३ थूलगमूसावायं पुन एगविहं दुविहेण ५ थूलगपाणातिवायं २-३ थूलगमुसावायं पुन एगविहंएगविहेण ६, एवं थूलगअदत्तादाणमेहुणपपरिग्गहेसु एक्केके छब्भंगा, सव्वेविं मिलिया चउव्वीसं, एए य थूलगपाणाइवायं पढमघरगेममुंचमाणेण लद्धा, एवं बितियादिघरएसु पत्तेयं चउव्वीस हवंति, एए य सव्वेवि मिलिया चोयालं सयं, चालिओ थूलगपाणाइवाओ, इदानिं थूलगमुसावायाए चिंतिज्जइ-तत्थ थूलगमुसावायं थूलगअदत्तादाणं पच्चक्खाति दुविहं तिविहेणं १ थूलगमुसावायं दुविहं तिविहेण अदत्तादाणं पुन दुविहं दुविहेण २ एवं पुव्वकमेण छब्भंगा नायव्वा, एवं मेहुणपरिग्गहेसु पत्तेयं पत्तेयं छ २, सव्वेवि मिलिा अट्ठारस, एते मुसावायं पढमघरगममुंचमाणेण लद्धा १८,
एवं बीयादिघरेसुवि पत्तेयं २ अट्ठारस २ भवन्ति, एए सव्वेवि मेलिया अद्रुत्तरं सयंति, चारिओ थूलगमुसावाओ, इदानि थूलगादत्तादाणादिं चिंतिजति, तत्थ थूलगादत्तादाणं थूलगमेहूणं
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