Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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१३४
महानिशीथ-छेदसूत्रम् -9/1१३०
पुढवि-दगागनि-वाऊ-हरिय-कायं तहेव य ।। मू. (१३१) बिय-काय-समारंभं बि-ति-चउ-पंचिंदियाण य।
मुसाणुंपिन भासेमि ससरक्खं पि अदिन्नयं ।। मू. (१३२) ने गेहं सिमिणते विन पत्थं मनसा वि मेहुणं ।
परिग्गहन काहामि मुलुत्तर-गुण-खलणं तहा ॥ मू. (१३३) मय-भय-कसाय-दंडेसुगुत्ती-समितिदिएसुय।
तह अट्ठारस-सीलंग-सहस्साहिद्विय-तनू। मू. (१३४)
सज्झाय-झाण-जोगेसुंअभिरमं समणि केवली ॥
तेलोक-लग्गणक्खंभ-धम्म-तित्थंकरेण जं ।। मू. (१३५) तमहे लिंग धरेमाणी जइ विहुजंते निफीलियं।
मझोमज्झी य दो खंडा फालिज्जामि तहेव य ।। अह पक्खिप्पामि दित्तगि अहवा छिज्जे जई सिरं।
तो वी हं नियम-वय-भंग-सील-चारित्त-खंडणं ।। मू. (१३७) मनसा वी एक-जम्म-कए न कुणं समणि-केवली ।
खरुह-साण-जईसुंसरागा हिंडिया अहं॥ मू. (१३८) विकम्मं पिसमायरिं अनंते भव-भवंतरे ।
तमेव खरकम्ममहं पव्वजापट्ठिया कुणं॥ मू. (१३९)
घोरंधयारपायाला जेणं नो नीहरं पुणो।
बे दियहे मानुसंजम्मतं च बहुदुक्ख-भायणं । मू. (१४०) अनिचं खण-विद्धंसी बहु-दंडं दोस-संकरं।
तत्यादि इत्थी संजाया-सयल-तेलोक-निंदिया। मू. (१४१) तहावि पावियं धम्म निविग्घमनंतराइयं ।
ताहंतं न विराहेमी पाव-दोसेण केणई। मू. (१४२)
सिंगर-राग-सविगारं साहिलासंन चेट्टिमो।
पसंताए वि दिट्ठीए मोत्तुं धम्मोवसएसगं ।। मू. (१४३) अन्नपुरिसंन निज्झायं नालवं समणि केवली ।
तं तारिसं महापावं काउं अक्कहनीययं ॥ मू. (१४४) तं सल्लमवि उप्पनंजह दत्तालोयण-समणि-केवली ।
'एमादि-अनंत-समणीओ दाउंसुद्धालोयणं ।। मू. (१४५) निसल्ला केवलं पप्पा सिद्धाओ अनादी कालेण गोयमा ।
खंता दंता विमुत्ताओ जिइंदियाओ सच्च-माणिरीओ। मू. (१४६) छ-काय-समारंभा विरया तिविहेण उ ।
ति-दंडासव-संवुत्ता पुरिस-कहा-संगवजिया॥ मू. (१४७) पुरीस-संलाव-विरयाओ पुरिसंगोवंग-निरिक्खणा ।
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