Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ अध्ययनं : २, उद्देशक : ३ वन्नचक्कमिय-निरिक्खिज्रमाणी वा दिप्पंत -किरण- जाल- दस - दीसी - पयासिय-तवंत -तेयरासी-सूरिरु वि तहा विणं पासेज्जा सुन्नंधयारे सव्वे दिसा भाए जाव णं रागंधत्ताए न गणेज्जा सुमहल्लगुरुदोसे-चय-भंगे नियम-भंगे सील-खंडणे संजम विराधने परलोग भए-आणा-भंगाइक्कमे अनंतसंसार भए पासेज्जा अपासणिज्जे सव्वजण पयड- दिनयरे विणं मनिज्जा णं सुन्नधयारे सव्वे दिसा भाए (जाव णं भवे न गणेज्जा सुमहल्लगुरुदोसे वय-भंगे सील-खंडणिज्जा) ताव णं भवेज्जा अनंतनिम-सोहग्गाइसइ विच्छाए रागारुण पंडुरे दुद्दंसणिज्जे अनिरिक्खणिज्जे अनिरिक्खणिजे वयणकमले भवेज्जा जाव णं अच्चंत निब्मट्ठ-सोहग्गाइसए विच्छा ए रागारुण-पंडुरे दुद्दसणिजे वयणकमले भवेज्जा ताव णं फुरुफुरेज्जा सणियं सणियं बोंद-पुड-नियंब-वच्छोरुह-बाहुलइ उरु-कंठपएसे जाव णं फुरफुरेति बोंद-पुड- नियंब - वच्छोरुह-बाहुलइ - उरु- कंठप्पएसे ताव णं मोट्टायमाणी अंगपालियहिंनिरुवलक्खे वा सोवलक्खे वा भंजेज्जा सव्वंगोवंगे जाव णं मोट्टायमाणी अंगपालियाहिं भंजेज्जा सव्वगोवंगे ताव णं मयणसरसन्निवाएणं जज्जरियसंभिन्ने सव्वरोम कूवे तणू भवेज्जा जाव णं मयणसर - सन्निवारणं विद्धसिए बोंदी भवेज्जा ताव णं तहा परिणमेज्जा तनू जहा णं मणगं पयति धातूओ जाव णं मणगं पयलंति धातूओ ताव णं अद्यत्थं वाहिजंति पोग्गल-नियंबोरुबाहुलइयाओ जाव णं अच्चत्थं वाहिज्जइ नियंबो ताव णं दुक्खेणं धरेखा गत्त-जट्ठि जाव णं दुक्खेणं धरेजा गत्त-यट्ठि ताव णं से नोवलक्खेजा - अत्तीयं सरीरावत्थं जाव णं नोवलक्खेज्जा अत्तीयं सरीरावत्यं ताव णं दुवालसेहि समएहिं दर-निच्चेट्टं भवे बोंदी जाव णं दुवालसेहि दर-निच्चेडं भवे बोंदी ताव णं पडिखलेज्जा से ऊसासानीसासे जाव णं पडिखलेज्जा ऊसासा- नीसासे ताव णं मंदं मंदं ऊससेज्जा मंदं मंदं नीससेज्जा जाव णं एयाई एत्तियाई भावंतरं अवत्थतराई विहारेज्जा ताव णं जहा गहग्घत्थे केइ पुरिसे इ वा इत्थि इ वा विसुंठुलाए पिसायाए भारतीए असंबद्धं संलवियं विसंखुलंतं अव्वत्तं उल्लवेज्जा एवं सिया णं इत्थीयं विसामावत्त-मोहन-मम्मनुल्लावेणं पुरिसे दिट्ठ-पुव्वे इ वा अदिट्ठ पुव्वे इ वा कंतरूवे इ वा अंकतरूवे इ वा गय जोव्वणे इ वा पडुप्पन्न जोव्वणे इ वा महासत्ते इ वा हीनसत्ते इ वा सप्पुरिसे इवा कापुरिसे इ वा इडिमंते इ वा अनिड्डिमंते इ वा विसयाउरे इ वा निव्विन्नकामभोगे इ वा समणे इ चा माहणे इ वा जाव णं अन्नयरे वा केई निंदियाहम-हीणजाईए इ वा अज्झत्येणं आमंतेमाणी उल्लावेजा जाव णं संखेज-भेदभित्रेणं सरागेणं सरेणं दिडीए इ वा पुरिसे उल्लावेज्जा निज्झाएज वा ताव णं जं तं असंखेज्जाई अवसप्पिणी ओसप्पिणी-कोडी- लक्खाई दोसुं नरय- तिरिच्छासुं गतीसुं उक्कोस-द्वितीयं कम्पं आसंकलियं आसिओ तं निबंधेजा नो णं बद्ध-पुट्ठे करेजा से विणं जं समयं पुरिसस्स णं सरिरावयव - फरिसणाभिमुहं भवेज्जानो णंफरिसेज्जा तं समयं चैव तं कम्म ठिइं बद्धपुट्ठे करेजा नो णं बद्ध-पुट्ठनिकायं ति मू. (३८८) एवायसरम्मि उ गोयमा संजोगेणं संजुज्जेज्जा से विणं संजोए पुरिसायत्ते पुरिसे वि जेणं न संजुज्जे से धन्ने जे णं संजुज्जे से अधन्ने । मू. (३८९) से भयवं केणं अद्वेणं एवं बुच्चइ जहा पुरिसे विणं जेणं न संजुज्जे से णं धन्ने जेणं संजुजे से अधन्ने गोयमा जे य णं से तीए इत्थीए पावाए बद्ध-पुट्ठ-कम्म-ट्ठिई चिट्ठइ से णं पुरिससंगेणं निकाइज्जइ तेनं तु बद्ध-पुट्ठ-निकाइएणं कम्मणं सा वराई तं तारिसं अज्झवसायं पडुच्चा एगिंदियत्ताए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org १५१

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170