Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 162
________________ 19] २. १३३ | ३१. ! गाणा १०. ४७ અમારા સંપાદીત ૪૫ આગમોમાં આવતા મૂલ નો અંક તથા તેમાં સમાવિષ્ટ ગાથા क्रम आगमसूत्र मूलं | गाथा | क्रम आगमसूत्र मूलं | गाथा | आचार | ५५२ १४७ । २४. | चतुःशरण सूत्रकृत ७२३ | आतुरप्रत्याख्यान | ७१ ७० स्थान १०१० २६. ! महाप्रत्याख्यान १४२ । १४२ समवाय ३८३ ९३ | २७. भक्तपरिज्ञा १७२ १७२ भगवती १०८७ ११४ । २८. तंदुलवैचारिक | १६१ | १३९ ज्ञाताधर्मकथा २४१ । ५७ | २९. | संस्तारक १३३ उपासक दशा ७३ गच्छाचार १३७ १३७ अन्तकृद्दशा १२ गणिविद्या | ८२ अनुत्तरोपपातिक । १३ ४ | ३२. | देवेन्द्रस्तव ३०७ ३०७ प्रश्नव्याकरण १४ | ३३. मरणसमाधि ११. | विपाकश्रुत ४७ निशीष १४२० औपपातिक ७७ ३० । ३५. | बृहत्कल्प २१५ १३. | राजप्रश्निय व्यवहार २८५ |१४. जीवाभिगम ९३ | ३७. | दशाश्रुतस्कन्ध ११४ १५. प्रज्ञापना ६२२ २३१ | ३८. | जीतकल्प १०३ १६. सूर्यप्राप्ति १०३ ३९. | महानिशीध | १५२८ १७. | चन्द्रप्रज्ञप्ति २१८ १०७ ४०. | आवश्यक १२ । २१ १८. जम्बूदीपप्रज्ञप्ति १३१ ४१. | ओधनियुक्ति १९६५ |११६५ | निरयावलिका २१ | ४१, | पिण्डनियुक्ति ७१२ | | ७१२ २०. कल्पवतंसिका | ४२. | दशवकालिक ५४० ५१५ २१. पुष्पिता 1 ४३. | उत्तराध्ययन १७३१ १६४० १ ४४. | नन्दी १६८ । ९३ वहिदशा १ | ४५. | अनुयोगद्वार ३५० । ३९८ १९. २२. | पुष्यचूलिका ४१ नो५ :- 65 गाथा संध्याको समावेश मूलं मां 25 x 1य छे. ते मूल सिपायनी सस गाथा सभापी नही. मूल शब्द में सभी सूत्र भने गाथा बने भोटे नो मापेलो. संयुक्त भनुम छे. गाथा Mix संपनीमा सामान्य पता होपाधी तनो अलग मंड આપેલ છે, પણ સૂત્રના વિભાગ દરેક સંપાદકે ભિન્નભિન્ન રીતે કર્યા હોવાથી અમે સૂત્રક જુદો પાડતા નથી. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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