Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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१६२
महानिशीय-छेदसूत्रम् -३/-१४९२
सव्वदोस विप्प-मुक्क-नवगुती-सनाह-अट्ठारस-परिहारट्ठाण-परिवेढिय-सुद्धद्धर
-घोर-बंभवय-धारणंति तओ एएसिं चेव सब्बुत्तम-खंती-मद्दव-अजव-मुत्ती-तव-संजमसच-सोय-आकिंचन-सुदुद्धर-बंभवय-धारण-समुट्ठाणेणंचसव्व-समारंभ-विवजणंतओयपुढवि दगागनि-वाऊ-वणप्फई बि-ति-चउ-पंचिदियाणं तहेव अजीव-कायसंरंभ-समारंभारंभाणं च मनोवइ-काय-तिएणं तिविहं तिविहेणं सोइणदि-संवरण-आहारादि-सन्ना विपजढत्ताए वोसिरणं तओयअट्ठारस-सीलंग-सहस्स-धारितंअमलिय-अट्टारस-सीलंग-सहस्स-धारणेणंच अखलियअखंडिय-अमलिय अविराहिय-सुदगुग्गयर-विचित्ताभिग्गह-निव्वाहण तओ य सुर-मनुयतिरिच्छोईरिय-घोर परिसहोवसग्गाहियासणं समकरणेणं तओ य अहोरायाइ-पडिमासुं महापयत्तं तओ निप्पडिकम्म-सरीरया निप्पडिकम्म-सरीरत्ताए य सुकन्झाणे निष्पकंपत्तं तओ य
अनाइभव-परंपर-संचिय-असेस-कम्मटुं-रासि-खयंअनंत-नाण-धारितंच चउगइ-भव-चारगाओ निफेडं सव्व-दुक्ख-विमोक्खं मोक्ख-गमणं च तत्थ अदिट्ठ-जम्मजरा-मरणानिट्ठ-संपओगिट्टवियोय-संतावुब्बेवगय-अयसमकखाणंमहवाहि-वेयणा-रोग-सोग-दारिद्द-दुख-भय-वेमणस्सत्तं ___ -तओ य एगतिय तओय एगतियं अचंतियं सिव-मलयमक्खयं धुवं परम-सासयं निरंतरं सवुत्तमं सोखं तिता सव्वमेवेयं नाणाओपवत्तेजाता गोयमाएगंतिय-अचंतिय-परम-सासयधुव-निरंतरं-सब्बुत्तम-सोक्ख-कंखुणा पढमयरमेव तावायरेणं सामाइयमाइयं लोग-बिंदुसारपज्जवसाणंदुवालसंगसुयनाणं कालंबिलादि-जहुत्त-विहिणोवहाणेणं हिंसादीयंचतिविहंतिविहेणं पडिक्तेन य सर-वंजण-मत्ता-बिंदुपयक्खरानूनगं पयच्छेद-घोस-बद्धयाणुपुब्बि-पुव्वानुपुब्बी अनानुपुव्वीए सुविसुद्धं अचोरिकायएणं एगत्तणेणं सुविन्नेयं तं च गोयमा अनिहणोरपारसुविच्छिन्न-चरमोयहि मियसुदुरवगाहं सयल-सोक्ख-परम-हेउ-भूयं च तस्स य सयल-सोक्खहेउ-भूयाओनइट्ट-देवया-नमोक्कारविरहिए केई पारंगच्छेखाइह-देवयाणंच नमोक्कारंपंचमंगलमेव गोयमा नो न मन्नति तानियमओ पंचमंगलस्सेव पढम ताव विनओवहाणं कायब्वं ति ।
म. (४९३) से भयवं कयराए विहिए पंच-मंगलस्सणं विनओवहाणं कायव्वं गोयमा इमाए विहिए पंचमंगलस्सणं विनओवहाणं कायव्वं तं जहा-सुपसत्ये चेव सोहणे तिहि-करण-मुहुत्तनक्खत्त-जोग-लग्ग-ससीबलेविप्पमुक्क-जायाइमयासंकेण संजाय-संवेग-सुतिब्बतर-महंतुलसंतसुहन्झवसायाणुगयभत्ती-बहुमाण-पुव्वं निन्नियाण-दुवालस-भत्त-हिएणं चेइयालये जंतविरहिओगासे भत्ति-भर-निमरुद्भुसिय-ससीसरोमावली-पप्फुल्ल वयण-सयवत्त-पसंत-सोमथिर-दिट्ठी नव-नव-संवेग-समुच्छलंत-संजाय-बहल-धन-निरंतर-अचिंत-परम-सुह-परिणाम-विसेसुल्लासियसजीव-वीरियाणुसमय-विवहृत-पामोय-सुविसुद्ध-सुनिम्मल-विमल-थिर-दढयरं-तकरणेण खितिणिहिय-जाणुन सि-उत्तमंग-कर-कमल-मउल-सोहंजलि-पुडेणं सिरि-उसमाइ-पवर-वरधम्म-तित्थयर-पडिमा बिंब-विनिवेसिय-नयन-मानसेगग्ग-तग्गयन्झवसारण समयन्नु-दढचरित्तादि-गुण-संपओववेय-गुरु-सहत्थत्याणुट्ठाण-करणेक्क-बद्ध-लक्ख-तवाहिय-गुरुवयणविनिग्गयंविनयादि-बहुमान-परिओसाऽनु-कपोवलदं अनेग-सोग-संतादुव्वेवग-महवाधिवेयणाघोर-दुक्ख-दारिद्द-किलेस-रोग-जम्म-जरा-मरण-गब्म वास-निवासाइ-दुट्ट-सावगागाह-भीमभवोदहि-तरंडग-भूयं इणमो सयलागम-मज्झ-वत्तगस्स मिच्छत्त-दोसावहय-विसिट्ट-बुद्धीपरि
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