Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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महानिशीथ-छेदसूत्रम् -६/-/१२१८
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भू. (१२१८) माहिसिएणं कओघाओ विखे जोनी समुच्छला ।
तत्थ किमिएहिं दस-वरिसे खद्धो मरिऊण गोयमा।।
उववन्नो वेसत्ताए तओ विमरिऊण गोयमा।
एगूनं जाव सय-वारं आम-गब्मेसु पच्चिओ॥ मू. (१२२०) जम्म-दरिद्दस्स गेहम्मिमानुसत्तंसमागओ।
तत्थ दो मास-जायस्स माया पंचत्तं उवगया। मू. (१२२१) ताहे महया किलेसेणं थन्नं पाउंधराधरिं।
जीवावेऊण जनगेणं गाउल्लियस्स समल्लिओ॥ मू. (१२२२) तहियं निय-जननीओच्छीरं आवियमाणे निबंधिउं ।
छाव-रुए गोणीओदुहमाणेणं जंबद्धं अंतराइयं ॥ मू. (१२२३) तणं सो लक्खणजाए कोडाकोडि भवंतरे।
जीवो थन्नमलहमाणो बज्झतो रुझंतो नियिलजंतो॥
हम्मतो दम्मतो विच्छोहिजंतोय हिंडिओ॥ मू. (१२२४) उववन्नो मनुय-जोणीए डागिणित्तेण गोयमा।
तत्थ य साणय-पालेहिं कीलिउंछट्ठियं गया। मू. (१२२५) तओ उव्वट्टिऊण इहइंतं लद्धो मानुसत्तणं ।
जत्त यसरीर-दोसेणं ए महंत-महि-मंडले।। मू. (१२२६) जामद्ध-जाम-घडियं वा नोलद्धं वेरत्तियं जहियं ।
पंचेव उघरे गामे नगरे पुर-पट्टणेसु वि।। मू. (१२२७) तत्य य गोयम मनुयत्ते नारय-दुक्खाणुसरिसिए।
अनेगे रन्न-ऽरन्नेनं घोरे दुक्खेऽनुभोत्तुंणं ।। मू. (१२२८) सो लक्खणदेवी-जीवो सुरोद्द-ज्झाण-दोसओ।
मरिऊण सत्तमं पुढविउववन्नो खाडाहडे । मू. (१२२९) तत्य यतं तारिसंदुक्खं तेत्तिसं सागरोवमए।
अनुभविऊणेह उववन्नो वंझा गोणीत्तणेण य॥ मू. (१२३०) खेत्त-खलयाइं चमढंती भंजंती य चरेतिया। . सा गोणी बहु-जणोहेहिं मिलिऊणागाह-पंक-वलए पवेसिया ॥ मू. (१२३१) तत्थ खुट्टि जलोयाहिं लुसिजंती तहेव य।
काग-मादिहिं लुप्पंती कोहाविट्ठा मरेऊणं ॥ मू. (१२३२) ताहे विजल-धने रन्ने मरुदेसे दिट्ठिवीसो ।
सप्पो होऊण पंचमगंपुढवि पुनरवि गओ ।। मू. (१२३३) एवं सो लक्खणजाए जीवो गोयमा चिरं ।
घन-घोर-दुक्ख-संतत्तो चउगइ-संसार-सागरे । मू. (१२३४) नारय-तिरिय-कुमनुएसुआहिंडित्ता पुणो विहं ।
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