Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 135
________________ २५४ मू. (१४५१) महानिशीथ - छेदसूत्रम् - ७(१)/-/१४५१ Jain Education International धरणं दुद्धर-बंभवयस्स काउं परिग्गहच्चायं । राती - भोयण-विरती पंचेदिय-निग्गहं विहिणा ।। अने य कोह- माणा राग-दोसे य आलोयणं दाउं । ममकार - अहंकाए पयहियव्वे पयत्तेणं ॥ मू. (१४५२) भू. (१४५४) मू. (१४५५) मू. (१४५६) मू. (१४५७) पू. (१४५८) मू. (१४५३) जह तव -संजम-सज्झाय ज्झाणभाईसु सुद्ध-भावेहिं । उज्जमियव्वं गोयम विजुलया- चंचले जीरू ।। किं बहुना गोयमा एत्थं दाऊणं आलोयणं । पुढवीकायं विराहिज्जा कत्य गंतुं स सज्झिही ॥ किं बहुना गोयमा एत्थ दाऊणं आलोयणं । बाहिर - पानं तहिं जम्मे जो पिए कत्थ सुज्झिही ॥ किं बहुना गोयमा एत्थं दाऊणं आलोयणं । उहवइ जालाइ जाओ फुसिओ वा कत्थ सुजिही ।। किं बहुना गोयमा एत्थं दाऊणं आलोयणं । बाउकार्य उदीरेज्जा कत्थं गंतुं स सुज्झिही ।। किं बहुना गोयमा एत्थं दाऊणं आलोयणं । जो हरिय-तणं पुष्पं वा फरिसे कत्थ स सुज्झिही किं बहुना गोयमा एत्थं दाऊणं आलोयणं । अक्कम बीय कार्य जो कत्थ गंतु स सुज्झिही !! किं बहुना गोयमा एत्थं दाऊणं आलोयणं वियलिदी- बि-ति-चउ-पंचेदिय-परियावे जो कत्थ स सुज्झिही ॥ किं बहुना गोयमा एत्थं दाऊणं आलोयणं । छक्काए जो न रक्खेज्जा हुमे कत्थ स सुज्झिही ।। किं बहुना गोयमा एत्थं दाऊणं आलोयणं । तस थावरे जो न रक्खे कत्थं गंतुं स सुज्झिही ॥ मू. (१४६३) आलोइय-निंदय-गरहिओ वि कय-पायच्छित्त-नीसल्लो । उत्तम-ठाणम्मि ठिओ पुढवारंभं परिहरेज्जा | मू. (१४५९) मू. (१४६०) 1 मू. (१४६१) मू. (१४६२) यू. (१४६४) आलोइय-निंदय-गरहिओ वि कय-पायच्छित्त-नीसल्लो । उत्तम ठाणम्मि ठिओ जोईए मा पुसावेजा || मू. (१४६५) आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय-पायच्छित्त संविग्गो । उत्तम ठाणम्मि ठिओ मा वियावेज अत्ताणं || मू. (१४६६) आलोइय- निंदिय-गरहिओ वि कय-पायच्छित संविग्गो ! छिन्नं पितणं हरियं असई मनगं भा फरसे ॥ मू. (१४६७) आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय-पायच्छित्त संविग्गो । उत्तम ठाणम्मि ठिओ जावज्जीवं पि एतेसिं ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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