Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
१९७
अध्ययन : ५, उद्देशक:
चउ-गइ-भव-संसारे चेहेङ्गा चिरं सुदुक्खत्ते । मू. (८०२) चोदस-रजू-लोगे गोयम वालग्ग-कोडिमेत्तं पि।
तं नत्यि पएसं जत्थ अनंत-मरणे न संपत्ते ।। मू. (८०३) चुलसीइ-जोनि-लखे साजोनी नत्थि गोयमा इहई।
जत्त न अनंतहुत्तो सव्वे जीवा समुप्पन्ना। मू. (८०४) सूइहिं अग्गि-वन्नाहिं संभिन्नस्स निरंतरं।
जावइयं गोयमा दुक्ख गब्भे अट्ठ-गुणं तयं ।। मू. (८०५) गब्माओ निम्फिडंतस्स जोनी-जंत-निपीलणे।
कोडी-गुणं तयं दुक्खं कोडाकोडि-गुणं पि वा। मू. (८०६) जायमाणाण जं दुक्खं मरणाणां जंतूणं ।
तेनं दुक्ख-विवागेनं जाउंन सरंति अत्ताणि ।। मू. (८०७) नाणाविहासु जोनीसुपरिभमंतेहिं गोयमा।
तेन दुक्ख-विवाएणं संभरिएणन जिव्वए॥ मू. (८०८) जम्म-जरा-मरण-दोग्गच्च-वाहीओ चिटुंतु ता ।
लज्जेजा गब्म-वासेणं को न बुद्धो महामती ।। मू. (८०९) बहु-रुहिर-पूई-जंबाले असुइय कलिमल-पूरिए।
____ अनि? य दुब्मिगंधे गब्बे को धिई लभे॥ मू. (८१०) ता जत्थ दुक्ख-विक्खिरणं एर्गत-सुह-पावणं ।
से आणं नो खंडेजा आणा भंगे कुओ सुहं ॥ मू.(८११) सो भयवंअट्ठण्हं साहूणमसइं उस्सग्गेण वाअववाएणवा चउहिं अनगारेहिंसमं गमनागमनं नियंठियं तहा दसण्हं संजईणं हेट्ठा उसग्गेण चउण्हं तु अभावे अववाएणं हत्थसयाओउद्धंगमणंनाणुन्नायंआणंवाअइक्कमंते साहवा साहूणीओवाअनंत-संसारिए समक्खाए ताणं से दुप्पसहे अनगार असहाए भवेजा सा वि य विण्हुसिरी अनगारी असहाया चेव भवेन्ना एवं तु ते कहं आराहगे भवेजा गोयमाणंदुस्समाएपरियंते ते चउरोजुगप्पहाणे खइम-सम्मत्तनाण-दंसण-चारित्त-समन्निए भवेजा तत्व णंजे से महायसे महानुभावे दुप्पसहे अनगारे से णं अनंत विसुद्ध-सम्म-इंसण-नाण-चारित्त-गुणेहिउववेएसुदिट्ठ-सुगइ-मग्गे आसायणा-भील अञ्चंतपरम-सद्धा-संवेग-वेरग्ग-संमग्गट्ठिए निरम-गयणामल-सरय-कोमुइ-पुनिमायंद-करविमल-परपरम-जसे-वंदाणं परम-वंदे पूयाणं परमपूए भवेज्जा तहा सा विय सम्मत्तं-नाण-चारित-पडागा महायसा महासत्ता महानुभागा एरिस-गुण-जुत्ता चेव सुगहियनामधिज्जा विण्हुसिरी अनगारी तहा तेसिं सोलस-संवच्छराई परमं आउं अट्ठय परियाओ आलोइय-नीसल्लाणं च पंचनमुक्कारपराणं चउत्थं-भत्तेणं सोहम्मे कप्पे उववाओ तयनंतरं च हिडिम-गमनं तहा वि ते एयं गच्छववत्थं नो विलंघिसु।
मू. (८१२) से भय केणंअटेणंएवं बुधइ-जहाणंतहा वि-तेएयंगच्छ-ववत्थं नो विलंधिंसु गोयमाणंइओआसन्न-कालेणंचेवमहायसेमहासत्ते-महानुभागेसेजंभवेनामंअनगारेमहातवस्सी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170