Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 45
________________ १६४ महानिशीथ-छेदसूत्रम् -३/-४९४ - एवमेते इत्थी-पुरिस-नपुंस-सलिंग-अन्नलिंग-गिहिलिग-पत्तेय बुद्ध-बुद्ध बोहिय-जावणं कम्म-क्खय-सिद्धा य भेदेहि णं अनेगहा पन्नविजंति तहा-अट्ठारस-सीलंग-सहस्साहिट्ठिय-तनू छत्तीसइविहमायारं जह-ट्ठियम-गिलाए-महन्निसाणुसमयं आयरंति पवत्तयंति त्ति आयरिया परमप्पणय हियमायरंतित्तिआयरिया भव्य सत्त-सीस-गणाणं वा हियमायरंति आयरिया पानपरिचाए विउ पुढवादीणं समारंभं नायरंति नायरंभंति नानुजाणंति वा आयरिया सुमहावरद्धेवि नकस्सई मनसा विपावमायरंति त्तिवाआयरिया एवमेतेनाम-ठवणादीहिं अनेगहा पनविजंति तहा-सुसंवुडासव-दारे-मनो-वइ-काय-जोगत्त-उवउत्तेविहिणासर-वंजण-मत्ता-बिंदु-पयक्खरविसुद्ध-दुवालसंग-सुय-नाणज्झयण-ज्झावणेणं परमप्पणो यमोक्खेवायं ज्झायंति त्ति उवन्झए थिर-परिचियमनंत-गम-पज्जवत्थेहिं वा दुवालसंगं सुयनाणं चिंतंति अनुसरंति एगग्ग-मानसा झायंतित्ति वा उवज्झाए एवमेते हि अनेगहा पत्रविजंति तहा-अचंत-कट्ठ-उग्गुग्गयर-घोरतवचरणाइ-अनेगवय-नियमोववास-नानाभिग्गह-विसेस-संजम-परिवालण-सम्म-परिसहोव-सग्गाहियासणेणं सब-दुक्खविमोक्खं मोक्खं साहयंतित्तिसाहवो अयमेवइमाए चूलाए भाविजइएतेसिं नमोकारो - एसो पंच नमोकारो किं करेज्जा, सव्वं पावं नाणावरणीयादि-कम्म-विसेसं तं पयरिसेणं दिसोदिसं नासयइ सव्व-पाव-प्पणासणोएसचूलाएपढमो उद्देसओएसोपंचनमोकारोसव्वपावप्पणासणो किं विहेउमंगोनिव्वाण-सुह-साहणेक्क-खमोसम्म-इंसणाइआराहओअहिंसा-लक्खणो धम्मो तं मे लाएजा त्ति मंगल ममं भवाओ संसारओ गलेज्जा तारेज्जा वा मंगलं बद्ध-पुट्ठनिकाइयटुप्पगार-कम्म-रासिं मे गालेज्जा विलेज्जेत्ति वा मंगलं एएसिं मंगलाणं अन्नेसिंच मंगलाणं सब्देसि किं पढमं आदीए अरहंताईणं थुई चेव हवइ मंगलं एस समासत्थो वित्थरत्यं तु इमं तं जहा-तेणं काले णं ते णं समए णं गोयमा जे केइ पुब्बिं वावन्निय-सहत्ते अरहते भगवंते धम्म-तित्थकरे भवेज्जा से णं परमपुजाणं पिपुज्जयरे भवेजा जओणं ते सव्वे विएयलक्खण-समन्निए भवेज्जातं जहा-अचिंत-अप्पमेय-निरुवमाणन्नसरिस-पवर-वरुत्तम-गुणोहाहिट्ठियत्तेणं तिण्हं पि लोगाणं संजणिय-गरुय-महंत-मानसानंदे तहायजम्मतंतर-संचिय-गरुय-पुत्र-पब्मार-संविढत्त-तित्ययरनाम-कम्मोदएणंदीहर-गिम्हायव-संताव-किलंत-सिहि-उलाणंवा पढम-पाउस-धारा-भर-वरिसंतघण-संघायमिव परम-हिओवएस-पयाणाइणा घण-राग-दोस-मोह-मिच्छताविरति-पमाय-दुट्टकिलिट्ठझवसायाइ-समज्जियासुह-घोर-पावकम्मायव-संतावस्स निन्नासगे भव्य-सत्ताणं अनेगजम्मंतर-संविढत्त-गुरुय-पुत्र-पब्माराइसय-बलेणंसमज्जियाउल बल-वीरिए सरियं-सत्तं-परक्कमाहिट्ठियतनूसुकंत-दित्त-चारु-पायंगुढग्ग-रूवाइसएणं सयलगह-नक्खत्त-चंदपंतीण सूरिएइवपयड पयाव-दस-दिसि-पयास-विप्फुरंत-किरण-पब्भारेण नियतेयसा विच्छायगे सयल सविजाहरनरामराणंसदेव-दानविंदाणंसुरलोगाणं सोहम्ग-कंति-दित्ति-लावन्न-रूव-समुदय-सिरिए साहावियकम्मक्खय-जनिय-दिव्वकय-पवर-निरुवमाणन्नसरिसविसेस साइसयाइ-सयसयलकला-कलावविच्छड्डु-परिदसणेणं भवनवइ-वानमंतर-जोइस-वेमाणियाहमिंद-सइंदच्छरा-सकिन्नर-नर-विज्ञाहरस्स ससुरासुरस्सा विणंजगस्सअहोअहो अहो अज्ज अदिठ्ठपुव्वं दिट्ठमम्हेहिंइणमोसविसेसाउल-महंताचिंत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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