Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ १५४ महानिशीथ-छेदसूत्रम् -२/३/४०४ मू. (४०४) जमित्थियं तं वेयणं नो अहियासेजा वियम्भ वा समायरेज्जा से णं अधन्ना से णं अपुत्रासेणं अवंदा सेणं अपुजा से णं अदट्ठब्बासेणं अलक्खणा सेणंभग्ग-लक्खणा सेणंसव्व अमंगल-अकल्लाण-भायणा सेणं भट्ठ-सीला सेणं भट्ठायारासेणंपरिभट्ठ-चारित्ता सेणं निंदनीया सेणंगरहणीया से णं खिंसणिज्जा सेणं कुच्छणिज्जा से णंपावा से पावा-पावसे णंमहापावा-पावा से णं अपवित्ति त्ति एवं तु गोयमा चडुलत्ताए भीरुताए कायरत्ताए लोलताए उम्मायओ वा दप्पओ वा कंदप्पओ वा अणप्प-वसओ वा आउट्टियाए वा जमित्थियं संजमाओ परिभस्सिय दूरद्धाणे वागामेवानगरेवा रायहाणीएवा वेसग्गहणंअच्छविय-पुरिसेणंसद्धिं वियम्मंसमायरेज्जा भूओ भूओ पुरिसंकामेज वा रमेजवाअहाणंतमेव दोयत्थियंकजंइइपरिकप्पेत्ताणंतमाईवेजा तंचेवआईवमाणीपस्सियाणंउम्मायओवादप्पओवा कंदप्पओवाअणप्पवसओवाआउट्टियाए वा केइ आयरिए इवा सामन्न-संजए इवा राय-संसिए इवा वाय-लद्धिजुत्ते इवातवो-लद्धिजुत्ते इवा जोगचुन्नलद्धिजुत्ते इ वा विन्नाणलद्धिजुत्ते इ वा जुगप्पहाणे इ वा पदयणप्पभावगे इवा तमत्थियं अन्नं वा रामेज वा कामेज वा अभिलसेज वा भुंजेज वा परिभुजेजा वाजावणं वियम्भ वासायरेजा सेणंदुरंत-पंत-लक्खणेअहन्ने अवंदेअदट्ठव्वेअपवित्तेअपसत्येअकल्लाणे अमंगले निदंणिज्जे गरहणिजे खिसणिज्जे कुच्छणिज्जे सेणंपाचे सेणंपाव-पावेसेणंमहापावे-सेणंमहापावपावे से णं भट्ठ-सीले से णं भट्ठायारे से णं निब्भट्ठचारिते महा-पाव-कम्मकारी जइणं पायच्छित्तमब्भुटेजातओणंमंदरतुंगेणं वइरेणं सरीरेणं उत्तमेणं संघयणेणं उत्तमेणं पोरुसेणं उत्तमेणं सत्तेणं उत्तमेणंतत्त-परिन्नाणेणं उत्तमेणं वीरियसामत्थेणं उत्तमेणंसंवेगेणं उत्तमाएधम्म-सद्धाए उत्तमेणं आउक्खएणंते पायरिच्छत्तमनुचरेज्जा तेणंगोयमा साहूणं महानुभागाणं अट्ठारस-परिहारट्ठाणाई नव-बंभचेर-गुत्तीओ वागरिजंति। मू. (४०५) से भयवं किं पच्छित्तेणं सुज्झेजा गोयमा अत्येगेजेणंसुज्झेजा अत्थेगे जेणं नो सुज्झेज से भयवं केणं अटेणं एवं वुच्चइ जहाणं गोयमा अत्थेगे जेणं सुज्झेज अत्थेगे जेणं नो सुज्झेजा गोयमा अत्थेगे जेणं नियंडी-पहाणे सढ-सीले वंक-समायारे से णंससल्लेआलोइउत्ताणं ससल्लेणं चेव पायच्छित्तमनुचरेज्जा से णं अविसुद्ध-सकलुसासए नो सुन्झेजा अत्येगे जे णं उज्जू पद्धर-सरल-सहावे जहा-वत्तं नीसल्लं नीसंकं सुपरिफुडं आलोइत्ताणं जहोवइट्ट चेव पायच्छित्तमनुचिट्ठेजा से निम्मल-निक्कलुस-विसुद्धसए विसुन्झेजा एतेनं अटेणं एवं वुच्चइजहाणं गोयमा अत्थेगेजे णं सुज्झेजा अत्येगे जेणं नो सुन्झेजा। मू. (४०६) तहा णं गोयमा इत्थीयं नाम पुरिसाणं अहमाणं सव्व-पाव-कम्माणं वसुहारा तमरय-पंक-खाणी सोग्गइ-मग्गस्स नरयावयारस्स णं समोयरण-वत्तणी, अभूमयं विसकंदलिं अनग्गियं चड्डुलिं अभोयणं विसूइयं अनामियं वाहिं अवेयणंमुच्छणअनोवसग्गं मारिंअणियलिं गुत्तिं अरज्जुए पासे अहेइए मञ्चूतहायणंगोयमा इस्थि-संभोगे पुरिसाणं मनसा विणंअचिंतणिज्जे अणज्झवसिणले अपत्थणिज्जे अनीहणिज्जे अवियप्पणिज्जे असंकप्पणिज्जे अनभिलसणिज्जे असंभरणि तिविहं तिविहेणं ति जओ णं इत्थियं नाम पुरिसस्स णं गोयमा सव्वप्पगारेसुं पि दुस्साहिय-विजं पिवदोसुष्पायणिंसारंभ-संजणगंपिवपुणोअसंजमायरणंअपुट्ठधम्मखलियचारितं पिवअनालोइयंअनिंदियं अगरहियं अकय-पायच्छित्तज्झवसायं पडुन अनंत-संसार-परियट्टण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170