Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
अध्ययनं : २, उद्देशकः३
१५७
मू. (४२८)
मू. (४२९)
मू. (४३०)
मू. (४३१)
मू. (४३२)
मू. (४३३)
मू. (४३५)
साया गारव-गरुए वि अन्नहा भणिउमुज्झए।
पयमक्खरे पिजो एगं सव्वन्नूहिं पवेदियं । न रोएज अन्नहा भासे मिच्छ-दिट्ठी स निच्छियं ॥
एवं नाऊण संसग्गि दसिणालाव-संथवं। सवासंच हियाकंखी सव्वोवाएहिं वजए। भयवं निब्मट्ठ-सीलाणं दरिसणं तं पिनेच्छसि । पच्छित्तं वागरेसी य इति उभयं न जुञ्जए।। गोयमा भट्ठ-सीलाणं दुत्तरे संसार-सागरे। धुवं तमनुकंपित्ता पायच्छित्ते पदरिसिए ।। भयवं किं पायच्छित्तेणंछिदिज्जा नारगाउयं। अनुचरिऊण पच्छित्तं बहवें दुग्गहं गए। गोयमा से समञ्जेज्जा अनंत-संसारियत्तणं । पच्छित्तेणं धुवंतं पि छिंदे किं पुणा नरयाउयं ।। पायच्छिात्तस्स भुवणेत्य नासझं किं चि विजए।
बोहिलाभ पमोत्तूणं हारियं तं न लब्भए। तंचाउकाय-परिभोगे तेउकायस्स निच्छियं ।
अबोहिलाभियं कम्मं बन्झए महुणेन य ।। मेहुणं आउ-कायं च तेउ-कायंतहेव य।
तम्हा तओ वि उत्तेणं वजेज्जा संजइंदिए। से भयवंगारथीणं सब्वमेवं पवत्तइ, ता जई अबोही । भवेज एसुतओ सिक्खा-गुणाऽनुव्वयधरणं तु निष्फलं ।।
गोयमा दुविहे पहे अक्खए सुस्समणे य सुसावए । ___ महव्वय-धरे पढमे बीएऽनुव्वय-धारए। तिविहं तिविहेणं समणेहिं सव्व-सावञ्जमुज्झियं । जावजीवं वयं घोरं पडिवज्जियं मोक्ख-साहणं ।।
दुविहेग-विहं तिविहं वा थूलं सावजमुज्झियं । उद्दिट्ट-कालियं तुवयं देसेणं न संवसे गारस्थीहिं ।।
तहेवतिविहं तिविहेणं इच्छारंभ-परिग्गह। वोसिरंति अनगारे जिनलिगंतु धरेंति ते॥
इयरे उणं अनुज्झित्ता इच्छारंभ-परिग्गहं । सदाराभिरए स गिही जिन-लिगं तु पूयए न धारयं ति ।।
तो गोयमेग-देसस्स पडिकंते गारत्ये भवे । तं वयमनुपालयंताणं नो सिं आसादनं भवे॥ जे पुन सव्वस्स पडिकंते धारे पंच-महव्वए।
For Private & Personal Use Only
मू. (४३७)
मू. (४३८)
मू. (४३९)
मू. (४४०)
मू. (४४१)
मू. (४४२)
मू. (४४४)
Jain Education International
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170