Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 31
________________ १५० महानिशीथ - छेदसूत्रम् - २/३/३८६ पडिवज्जेज्जा गोयमा एगे बंभयारी एगित्थीए सर्द्धिनो पडिवज्रेज्जा । पू. (३८७) से भयवं केणं अद्वेणं एवं वुच्चइ जहा णं नो इत्थीणं निज्झएजा नो नमालवेज्जा नो ती सद्धिं परिवसेजानो णं अद्धाणं पडिवज्रेज्जा गोयमा सव्व- प्पयारेहिं णं सव्वित्थीयं अच्चत्थं मउक्कडत्ताए रागेणं संधुक्किजमाणी कामग्गिए संपलिता सहावओ चेव विसएहिं बाहिज्जइ तओ सव्व-पयारेहिं णं सव्वत्थियं अचत्यं मउक्कडत्ताए रागेणं संधुक्किजमाणी कामग्गीए संपलित्ता सहावओ चेव विसएहिं बाहिज्रमाणी अनुसमयं सव्व-दिसि - विदिसासुं णं सव्वत्थ विसए पत्थेज्जा जावं णं सव्वत्थ-विसए पत्येज्जा ताव णं सव्व-पयारेहिं णं सव्वत्थ सव्वहा पुरिसं संकप्पिज्जा जाव पुरिसं संकष्पेज्जा ताव णं सोइंदियोवओगत्ताए चक्खुरिदिओवओगत्ताए रसनिंदिओव - आगत्ताए धाणिंदिओवओगत्ताए फासिंदिओवओगत्ताए जत्थ णं केइ पुरिसे कंत-रूवे इ वा अकंत-रूवे इ वा पडुप्पन्नजोव्वणे इ वा अपडुप्पन्न - जोव्वणे इ वा गय-जोव्वणे इ वा दिट्ठ-पुब्वे इ वा अदिट्ठ-पुच्वे इ वा इड्डिमंते इ वा अनिड्डिमंते इ वा इड्डिपत्ते इ वा अनिड्डी पत्ते इ वा विसयाउरे इ वा निव्विन्नकाम भोगे इ वा उद्धय बोंदीए इ वा अनुद्धयबोदीए इ वा महासत्ते इ वा हीन सत्ते इ वा महापुरिसे इ वा कापरिसे इ वा समणे इ वा माहणे इ वा अन्नयरे इ वा निदियाहम-हीनजाईए वा तत्य णं हा पोह-वीमंसं पउंजित्ताणं जाव णं संजोग-संपत्ति झाएजा जाव णं संजोग-संपत्तिं परिकप्पे तावणं से चित्ते संखुद्दे भवेज्जा जाव णं से चित्ते संखुद्दे भवेज्जा ताव णं से चित्ते विसंवएज्जा जाव णं से चित्ते विसल्वएज्जा ताव णं से देहे मएणं अद्धासेज्जा जाव णं से देहे मएणं अद्धासेज्जा ताव णं से दरविंदरे इह-परलोगावाए पम्हुसेजा जाव णं से दर-विदरे — इहपरलोगावाए पम्हुसेजा ताव णं चिच्चा लज्जं भयं अयसं अकित्तिं मेरं उच्च-ठाणाओ नीयद्वाणंठाएजा जाव णं उच्च-ठाणाओ नीय-द्वाणं ठाएजा ताव णं वच्चेज्जा असंखेयाओं समयावलियाओ जाणं नीति असंखेजाओ समयावलियाओ ताव णं जं पढम समयाओ कम्पट्ठि तं बीयसमयं पडुचा तइया दियाणं समयाणं संखेज्जं असंखेज्जं अनंतं वा अनुक्कमसो कम्मठिनं संचिणिञ्जा जाव णं अनुकमसो अनंतं कम्मठिझं संचिणइ ताव णं असंखेज्जाई अवसप्पिणी- ओसप्पिणी- कोडिलक्खाई जावणं कालेणं परिवत्तंति तावइयं कालं दोसुं चैव निरयतिरिच्छासुं गतीसुं उक्कोस-द्वितीयं कम्म • आसंकलेज्जा जाव णं उक्कोसद्वितीयं कम्ममा संकलेखा ताव णं से विवन्न- जुइं विवन्न-कंति वियलियलावन्न- सिरीयं निन्नट्ठदित्ति-तेयं बोंदी भवेज्जा जाव णं चुय-कंति-लावन्न- सिरियं नित्तेय नित्तेयबोंदी भवेज्जा ताव णं सीएज्जा फरिसिदिए जाव णं सीएजा फरिसिंदिए ताव णं सव्वट्ठा विबडेजा सव्वत्थ चक्खुरागे जाव णं सव्वत्थ विवढेज्जा चक्खुरागे ताव णं रागारुणे नयण-जुयले भवेज्जा जाव णं रागारुणे य नयनजुयले भवेज्जा ताव णं रागंधत्ताए न गणेज्जा सुमहंत-गुरु-दोसे वयभंगे न गजा सुमहंत गुरु दोसे नियम-मंगे न गणेज्जा सुमहंत-घोर-पाव- कम्म समायरणं सील-खंडणं न गणेज्जा सुमहंत सव्व-गुरु- पाव-कम्म-समायरणं संजमविराहणं न गणेज्जा घोरंधयारं परलोगदुक्खभयं न गणेज्जा आयई न गणेज्जा सकम्म-गुणद्वाणगं न गणेज्जा ससुरासुरस्सा वि णं जगस्स अलंघणिज्जं आणं न गणेज्जा अनंतहुत्तो चुलसीइजोणिलक्ख-परिवत्त-गब्भ-परंपरं अलद्धणिमि-सद्ध-सोक्खं- चउगउ-संसारदुक्खं न पासिज्जा जं पासणिज्जं न पासिज्जा जं अपासणिज्जं सव्व जण - समूह - मज्झ-सन्निविडुट्ठियाणि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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