Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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महानिशीय-छेदसूत्रम् -२/२/२९० मू. (२९०) दुक्खं जरेंति आहारं अहियं सित्थं पि मुंजियं।
पीडं करेइ तेसिं तु तण्हाबाहे खणे खणे॥ मू. (२९१) अद्धाण-मरणं तेसिं बहुजपं कट्ठासणं ।
थाणुव्वालं निविन्नाणं निदाए जंति नो वणिं॥ मू. (२९२) एवं परिग्गहारंभदोसेणं नरगाउयं। "
तेत्तीसं-सागरुक्कोसं वेइत्ता इह समागया। मू. (२९३) छुहाए पीडिझंति भुत्त-भुत्तुत्तरे विय।
चरंता अहनिसं तित्तिं नो गच्छंती पसवे जहा ।। मू. (२९४) कोहादीणं तु दोसेणं घोरमासीविसत्तणं।
वेइत्ता नारयंभूओ रोद्दा मेच्छा भवंति ते॥ मू. (२९५) सढ-कूड-कवड-नियडीए दंभाओ सुइरं गुरुं ।
वेइत्ता चित्त तेरिच्छं मानुस जोनिं समागया। मू. (२९६) कोइ बहुवाहि-रोगाणं दुक्ख-सोगाण भायणं ।
दादि-कलहमभिभूया खिंसणिज्जा भवंतिहं ।। मू. (२९७) तक्कम्मोदय-दोसेणं निच्चं पञ्जलिय-बोदिणं ।
ईसा-विसाय-जालाहि धग-धग-धग-धगस्सउ॥ मू. (२९८) जम्मं पि गोयमा वोले-बहु-दुहसंधक्कियाण य ।
तेसिं सदुचरिय-दोसो कस्स रूसंतु ते इहं ।। मू. (२९९) एवं वय-नियम-मंगेणं सीलस्स उ खंडनेन वा ।
असंजम-पवत्तणया उस्सुत्तमुग्गायरणा ।। म. (३००) नेगेहिं वितहायरणेहिं पमाया सेवणेहिं य।
मणेणं अहव वायाए अहवा काएण कत्थइ।
कय-कारिगाऽनुमएहिं पमाय सेवणेन वा?॥ मू. (३०१) तिविहेणमनिंदियमगरहियमनालोइयमपडितमकयपायच्छित्तमविसुद्धसयंदोसओ ससल्ले आमगब्भेसुं पच्चिय पच्चिय-अनंतसो वियलंते-दुति-चउ-पंच-छण्हं मासाणं असंबद्धठीकर-सिर-चरणच्छवी। मू. (३०२) लद्धे विमानुसे जम्मे कुट्ठादी-बाहि-संजुए।
जीवंते चेव किमिएहिं खजंती मच्छियाहि य॥
अनुदियहं खंड-खंडेहिं सडहडस्स सडे तर्नु।। मू. (३०३)एवमादी-दुक्खमभिभूए लञ्जणिजे खिसणिज्जे निंदणिज्जे गरहणिज्जे ।
उव्वेवणिज्जे अपरि-भोगेनिय-सुहि-सयण-बंधवाणंपि भवंती ते दुरप्पणे ।। मू. (३०४) अज्झवसाय-विसेसं तं पडुच्चा केइ तारिसं।
अकाम-निजराए उ भूय-पिसायत्तं लभते ॥ मू. (३०५) तप्पुव-सल्ल-दोसेणं बहु-भवंतर-स्थाइणा।
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