Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ १३२ मू. (९८) मू. (९९) मू. (१००) मू. (१०१) मू. (१०२) मू. (१०३) मू. (१०४) मू. (१०५) मू. (१०६) महानिशीथ-छेदसूत्रम् -9/-/९८. गोयम केसिं चि नामाइं साहिमोतं निबोधय । जे साऽऽलोयण-पच्छित्ते भाव-दोसेक्क-कलुसिए।। ससल्ले घोर-महं दुक्खंदुरहियास सु-दूसहं । अनुहवंति वि चिट्ठति पाव-कम्मे नराहमे॥ गुरुगा संजमे नाम साहू निद्धंधसे तहा। दिट्टि-वाया-कुसीले यमन-कुसीले तहेव य ।। सुहुमालोयगेतह य परववएसालोयगेतहा। किं किंचालोयगे तह य न किंचालोयगेतहा।। __ अकयालोयणे चैव जन-रंजवणे तहा। नाहं काहामि पच्छित्तं छम्मालोयणमेव य॥ माया-डंभ-पवंची य पुर-कड-तव-चरणं कहे । पच्छित्तं नत्यि मे किंचिन कया लोयनुचरे ॥ आसन्नालोयणक्खाई लहु-लहु-पच्छित्तं-जायगे। अम्हानालोइयं चिट्टे मुहबंधलोयगेतहा। गुरु-पच्छित्ताऽहमसक्केय गिलाणालंबणं कहे । अरडालोयगे साहू सुन्नाऽसुन्नी तहेव य॥ निच्छिन्ने विय पच्छित्ते न काहं वुडिजायगे। रंजवण-मेत्तलोगाणं वाया-पच्छित्तेतहा ।। पडिवाण-पच्छित्ते चिर-याल-पवेसगेतहा। अननुट्ठिय-पायच्छित्ते अनुभणियऽन्नहाऽऽयरे तहा। आउट्ठीय महा-पावे कंदप्पा-दप्पे तहा। अजयणा-सेवणे तह य सुयाऽसुय-पच्छित्ते तहा ॥ दिट्ठ-पोत्थय-पच्छित्ते सयं पच्छित्त-कप्पगे। एवइयं एत्थ पच्छित्तं पुव्वालोइय-मनुस्सरे ॥ जाती-मय-संकिए चेव कुल-मय-संकिए तहा। जाती-कुलोभय-मयासंके सुत-लामिस्सरिय-संकिए तहा ।। तवो-मया-संकिए चेव पंडिच्च-मय-संकिए तहा। सक्कार-मय-लुद्धे य गारव-संदूसिए तहा॥ अपुज्जो वा विहं जन्मे एगजम्मेव चितगे। पाविट्ठाणं पि पावतरे सकलुस-चित्तालोयगे ।। पर-कहावगे चेव अविनयालोयगेतहा। अविहि-आलोगये साहू-एवमादी दुरप्पणो ।। अनंतेऽनाइ-कालेणं गोयमा अत्त-दुक्खिया। अहो अहो जाव सत्तमियं भाव-दोसेक्कओ गए। मू. (१०७) मू. (१०८) मू. (१०९) मू. (११०) मू. (१११) भू. (११२) मू. (११३) मू. (११४) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 170