Book Title: Agam Sutra Satik 15 Pragnapana UpangSutra 04
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पद-२३, उद्देशकः-२, द्वार
१८७ दसणचउक्करसणंभंते ! कम्मस्स केवइयं कालं ठिती पं०?, गो० ! जहने० अंतो० उ० तीसं सागरोवमकोडाकोडीतो, तिन्निय वाससहस्साई अबाहा०,
सायावेयणिजस्स ईरियावहियंबंधगंपडुच्छ अजहन्नमनुकोसेणं दो समया संपराइयबंधगं पडुछ ज० बारस मुहुत्ता, उ० पन्नरस सागरोवमकोडाकोडीतो, पन्नरस वाससयाइ अबाधा०, असातावेदणिजस्सजह० सागरोवमस्स तिन्निसत्तभागापलितोवमस्स असंखेजतिभागेणंऊणया उ० तीसं सागरोवमकोडाकोडीतो, तिन्नि य वाससहस्साइं अबाहा,
सम्मतवेयणिजस्स पुच्छा, गो०! ज० अंतो० उ० छावहिं सागरोवमाइं सातिरेगाति, मिछत्तवेयणिजस्सजह० सागरोवमंपलितोवमस्स असंखेजतिभागेण ऊणगंउ० सत्तरि कोडाकोडीतो, सत्त य वाससहस्साइं अबाहा, अबाहूणिया०, सम्मामिच्छत्तवेयणिजस्स ज० अंतो० उ० अंतो०, कसायबारसगस्सज० सागरोवमस्सचत्तारिसत्तभागा पलितोवमस्सअसंखेजइभागेणं ऊणया, उक्को० चत्तालीसंसागरोवमकोडीकोडीतो, चत्तालीसं वाससताइअबाहाजावनिसेगो,
कोहसंजलणे पुच्छा, गो० ! जह० दो मासा उक्को० चत्तालीसं सागरोवमकोडाकोडीतो चत्तालीसं वाससताई अवाहा जाव निसेगो, मानसंजलणाते पुच्छा, गो० ज० मासं उ० जहा कोहस्स, मायासंजलगाते पुच्छा, गो० ज० अद्धं मासं उ० जहा कोहस्स, लोहसंजलणाए पुच्छा, गो० ज० अंतो० उ० जहा कोहस्स,
इस्थिवेयस्सपुच्छा, गो०! जहन्नेणंसागरोवमस्स दिवईसत्तभागंपलितोवमस्सअसंखेजइभागेण ऊणयंउक्को० पन्नरस सागरोवमकोडाकोडीतोपन्नरसवाससताइंअबाहा०, पुरिसवेदस्स गंपुच्छा, गो०!जह अट्ठ संवच्छराति उक्को० दस सागरोवमकोडाकोडीतो दस वाससताई अबाहा जाव निसेगो, नपुंसगवेदस्स णं पुछा, गो०! जह० सागरोवमस्स दोन्नि सत्तभागा पलितोवमस्सअसंखेजइभागेणंऊणया, उक्कोसेणंवीसंसागरोवमकोडाकोडीतोवीस यवाससताई अबाहा०, हासरतीणं पुछा गो० ! जह० सागरोवमास्स एवं सत्तमार्ग पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणं उक्को० दस सागरोवमकोडाकोडीओ दस वाससातइं अबाहा, अरतिभयोसागदुगुंछाणं पुच्छा, गो० ! जह० सागरोवमस्स दोन्नि सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं उणया, उक्को० वीसं सागरोवमकोडाकोडीतो वीसं वाससताई अबाहा०,
नेरइयाउयस्स णं पुच्छा, गो०! जह० दस वाससहस्साइं अंतोमुत्तममहियाइं उक्को० तेत्तीसंसागरोवमाइंपुवकोडीतिभागममहियातिं, तिरिक्खजोणियाउयस्सपुच्छा, गो०! जह० अंतो० उक्को० तिन्नि पलितोवमाइंपुव्वकोडितिभागमभहियाई, एवंमणूसाउयस्सवि, देवाउयस्स जहा नेरइयाउयस्स ठितित्ति, निरयगतिनामए णं पुच्छा गो० ! जह० सागरोपमसहस्सस्स दो सत्तभागा पलितोवमस्स असंखिजतिभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीतो वीसं वाससताई अबाहा।
तिरियगतिनाए जहा नपुंसगदेवस्स, मणुयगतिनामते पुच्चा, ज० सागरोवमस्स दिवद्धं सत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणगं उक्को० पन्नरस सागरोवमकोडाकोडीतो पन्नरसवाससताइंअबाहा देवगतिनाएणंपुच्छा, गो०! जह० सागरोवमसहस्सस्स एगंसत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणयं उक्को० जहा पुरिसवेदस्स,
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