Book Title: Agam Sutra Satik 15 Pragnapana UpangSutra 04
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 663
________________ आगमसुत्ताणि भाग-१ भाग-२ भाग-३ भाग-४ भाग-५-६ भाग-७ [16] "आगमसुत्ताणि-सटीकं” भाग १ थी ३० नुं विवरए समाविष्टा आगमाः भाग-८ भाग-९ भाग-१०-११ भाग- १२ भाग- १३ भाग- १४ आयार सूत्रकृत स्थान समवाय भगवती ( अपरनाम व्याख्याप्रज्ञप्ति) | भाग- २८-२९ | भाग-३० ज्ञाताधर्मकथा, उपासकदशा, अन्तकृद्दशा, अनुत्तरोपपातिकदशा, प्रश्नव्याकरण विपाकश्रुत, औपपातिक, राजप्रश्निय जीवाजीवाभिगम प्रज्ञापना | सूर्यप्रज्ञप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति निरवायलिका, कल्पवतंसिका, पुष्पिका, पुष्पचूलिका वहिदशा, चतुःशरण, आतुरप्रत्याख्यान, महाप्रत्याख्यान, भक्त परिज्ञा, तन्दुलवैचारिक, संस्तारक, गच्छाचार, गणिविद्या, देवेन्द्रस्तव, मरणसमाधि भाग-१५-१६-१७ नीशीथ | भाग- १८-१९-२० बृहत्कल्प | भाग- २१-२२ व्यवहार भाग-२३ भाग- २४-२५ भाग-२६ भाग-२७ दशाश्रुतस्कन्ध, जीतकल्प, महनिशीथ आवश्यक ओघनियुक्ति, पिण्डनिर्युक्ति दशवैकालिक उत्तराध्ययन नन्दी, अनुयोगद्वार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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